यूपी का सियासी घमासान



महाराष्ट्र में शिवसेना को साधने और तमिलनाडु में AIADMK को अपने साथ जोड़ने के बाद बीजेपी उत्तर प्रदेश में अपनी सहयोगी अपना दल और ओमप्रकाश राजभर की पार्टी को साथ बरकरार रखने की कवायद में जुट गई है.
कहते है सत्ता जब घर आ जाए तो सियासी समाकरण को संभालना बड़ा मुश्किल हो जाता है...जो अब एनडीए से साथ हो रहा है...राजस्थान, मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़, कर्नाटक में बीजेपी की जो दुर्गति हुई...उसने बीजेपी को सीटों के बंटवारे को लेकर जीत का फर्मूला तलाशने को मजबूर कर दिया है...और यही कारण है कि बीजेपी को अब जीत का फॉर्मूला तय करने के लिए अपनी राजनीति की समीकरण भी बदलना पड़ेगा...क्यों इससे भी ज्याद दुर्गति बीजेपी यूपी के उपचुनाव में भी करा चुकी है...और यही कारण है कि...लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी एनडीए के रुठे साथियों को मनाने और नए दलों को जोड़ने की रणनीति पर काम कर रही है.
महाराष्ट्र में शिवसेना को साधने और तमिलनाडु में AIADMK को अपने साथ जोड़ने के बाद बीजेपी उत्तर प्रदेश में अपनी सहयोगी अपना दल और ओमप्रकाश राजभर की पार्टी से भी रिश्ते बरकरार कर दिए हैं....माना जा रहा है कि, आने वाले कुछ ही समय में यूपी में अपने गठबंधन का ऐलान कर सकती है...अपना दल की नेता और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के कड़े तेवर दिखाने और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के गठबंधन से अलग होने के अल्टीमेटम के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सूबे के दोनों उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा व केशव प्रसाद मौर्य बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मिले...।।
यूपी में अपना दल के साथ बीजेपी का 2014 के लोकसभा चुनाव में समझौता हुआ था....बीजेपी ने अपना दल को 2 सीटें दी थी... जहां वो जीतने में कामयाब रही थी.वहीं, ओमप्रकाश राजभर की पार्टी के साथ बीजेपी ने 2017 विधानसभा चुनाव में गठबंधन किया था...राजभर सूबे में कम से कम 2 सीटों की मांग रखी है....इनमें घोसी और चंदौली संसदीय सीट शामिल है....इन दोनों सीटों पर बीजेपी का कब्जा है...राजभर पिछले काफी दिनों से योगी सरकार के खिलाफ बगावती तेवर अख्तियार किए हुए थे...इस कड़ी में उन्होंने हाल ही में एक मंत्रालय भी छोड़ दिया था...इसके बाद राजभर ने देर रात दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात की….इस दौरान उन्होंने ओबीसी के आरक्षण कोटे में कोटे की मांग को लेकर चर्चा की…हालांकि लोकसभा सीटों को लेकर 26 फरवरी को फिर से बीजेपी अध्यक्ष चर्चा करेंगे… माना जा रहा है कि उन्हें एक लोकसभा सीट दी जा सकती है…जबकि माना तो यह भी जा रहा है कि बीजेपी यूपी से अपने करीब 3 दर्जन सांसदों का टिकट काटसकती है...।।
प्रमोद शर्मा TV 24
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एनडीए के बीच सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला तय होते ही बीजेपी सांसदों में सबसे ज्यादा बेचैनी है...यह तय हो गया है कि, बीजेपी के मौजूदा सांसदों में से करीब 3 दर्जन सांसद बे-टिकट हो सकते हैं...जबकि चुनाव लड़ने वालों में भी कई को टिकट नहीं मिलेगा...कौन बे-टिकट होगा, कौन चुनावी मैदान में दिखेगा, इस सवाल से बीजेपी कैसे जूझ रही हैं इस रिपोर्ट में देखिए...।।
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी यूपी से 80 सीटों पर चुवान लड़ी थी...जिसमें 73 सीटों पर उसे जीत हासिल हुई...उसमें 2 सीट बीजेपी ने अपना दल दी और 2 सीटों पर कांग्रेस 4 सीटों पर एसपी नें अपनी जीत हासिल की थी...अब बीजेपी शिव और सेना राजभर के साथ ADIMK को भी मनाने में कामयाब हुई....इस लिहाज से देखें तो यूपी से मौजूदा कुछ सांसद का टिकट कटना तय है...पिछली बार चुनाव में किस्मत आजमाने वालों की बात करें तो बे-टिकट होने वालों की संख्या दर्जन भर से ज्याद हो सकती है.... ऐसे में उन लोकसभा क्षेत्र के बीजेपी नेताओं में ज्यादा बेचैनी बढ़ी हुई है... जो एसपी औप बीएसपी के गढ़ माने जाते रहे हैं...माना तो ये भी जा रहा है कि अपनी परम्परागत सीटों पर बीजेपी के सहयोगी दावा कर सकते हैं....सूबे के बदले समीकरण में अपना दल ने भी बीजेपी के सामने 2 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का दबाव बनाए हुए है....हाल ही में केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने सार्वजनिक रूप से अपनी नाराजगी जाहिर की थी और पीएम मोदी के कार्यक्रम में शामिल नहीं हुईं थी….इतना ही नहीं अनुप्रिया पटेल ने गोंडा में कहा कि हमने बीजेपी को 20 फरवरी तक का समय दिया था यदि बात नहीं बनी तो उनका दल अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है...।।
  राजनीतिक गलियारे में चल रही चर्चाओं के अनुसार बे-टिकट करने के लिए बीजेपी कुछ फॉर्मूला पर काम करेगी...मौजूदा सांसदों में से कुछ को पार्टी ने पहले से ही किनारा करने का मन बना लिया था... इसमें दो ऐसे नेता थे जो पहले से पार्टी विरोधी तेवर अपनाए हुए हैं.....लेकिन ये अलग बात है कुछ नोताओं को मनाने में बीजेपी कामयाब रही तो कुछ नेताओं को बागवती सुर अभ बरकरार है......सुत्रों की माने तो, .मौजूदा सांसदों के कामकाज पर एक आंतरिक सर्वे किया गया है....इसके आधार पर की गई ग्रेडिंग में जो फिट नहीं बैठेंगे, उन्हें टिकट नहीं मिलेगा....
चर्चा में एडजस्टमेंट की भी बात सामने आ रही है... जीत सुनिश्चित करने के लिए एनडीए इस रणनीति पर काम कर रहा है कि, जिस प्रत्याशी की जीत की संभावना ज्यादा है, उन्हें ही टिकट दिया जाए... अगर संभावित जिताऊ उम्मीदवार किसी एक दल में हैं और सीट किसी दूसरे दल को मिला है तो उम्मीदवार के साथ ही संबंधित दल को लोकसभा सीट दे दी जाएगी....बीजेपी आपस में प्रत्याशियों की अदला-बदली भी कर सकती है.... इससे बे-टिकट होने के बाद असंतुष्टों की संख्या कम की जा सकेगी...वहीं कुछ बे-टिकट होने वालों को पार्टी राज्यसभा या जिम्मेवारी देकर भी शांत करने की कोशिश की जा सकती है। 
दरअसल यूपी में सपा-बसपा गठबंधन और प्रियंका गांधी के राजनीति में दस्तक के बाद सूबे में सियासी समीकरण काफी बदलते दिख रहे हैं. ऐसे में बीजेपी के सामने अपने सहयोगी को साधने की चुनौती थी. यही वजह थी कि अपना दल और ओमप्रकाश राजभर ने अपनी डिमांड बढ़ा दी है...,ऐसे में देखना है कि बीजेपी इन दोनों दलों को कैसे साधकर रखती है...।।
प्रमोद शर्मा..
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यूपी में अखिलेश और मायावती ने गठबंधन कर गजब की चुनावी गर्मी पैदा कर दी है....असंभव दिखने वाली दोस्ती लखनऊ में जाकर हकीकत बन गई... जिसे लेकर बीजेपी भी अपने कायाकलाप में जुट गई है...
यूपी  में एसपी-बीएसपी ने गठबंधन की गुत्थी सुलझाते हुए दोनों ने साथ-साथ चलने का फैसला किया....इससे ये भी पूरी तरह से साफ है कि, यह गंठबंधन 2019 में बीजेपी की राह का सबसे बड़ा रोड़ा बनने वाला है...वहीं उत्तर प्रदेश में अपनी पकड़ रखने वाले राष्ट्रीय लोकदल को लेकर अफवाहों का बाजार भी गरम है...सरी अटकलों पर विराम लगाते हुए, पार्टी की बागडोर संभाल रहे जयंत चौधरी ने साफ कर दिया कि, वह आने वाले चुनावों में एसपी और बीसपी के साथ ही खड़े दिखाई देंगे...जो बीजेपी की किसान,युवा, दलित विरोधी नीतियों के विरोध में, जोरो-शोरों से विपक्षी एकता के पक्ष में भी काम कर रहे है...यह RLD मान भी रही है कि, एसपी बीएसपी के साथ गठबंधन बिना यूपी में उसकी भी नैय्या पार नहीं होने वाली है...
उधर लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरने से पहले बीजेपी ने भी रणनीति बनानी शुरू कर दी है... सूत्रों जिनकारी मिल रही है कि,  उत्तर प्रदेश में बीजेपी के तीन दर्जन मौजूदा सांसदों का टिकट भी पार्टी काट सकती है....वहीं, कई मौजूदा सांसदों का टिकट पर भी खतरा मंडरा रहा है... टिकट काटने का आधार सांसदों का क्षेत्र में प्रदर्शन माना जा रहा है....
अमित शाह के आवास पर चली ढाई घंटे की बैठक में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, दिनेश शर्मा, पीयूष गोयल और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर मौजूद थे....बैठक में उत्तर प्रदेश के गठबंधन और आगामी चुनाव की तैयारियों पर भी चर्चा की गई....सूत्रों की मानें, तो उत्तर प्रदेश में पार्टी कई नई चेहरों के साथ कई विधायकों और मंत्रियों को लोकसभा चुनाव में उतार सकती है...​ यह बात भी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के आवास पर चली मैराथन बैठक में निकलकर सामने आई...।।
ये आपके एक बार फिर बताते चले कि, बीजेपी के आलाकमान ने इससे पहले भी संकेत दिए थे कि, जिन सांसदों का प्रदर्शन बढ़िया नहीं रहा है....उनके टिकट काटकर नए उम्मीदवार को मौका दिया जा सकता है....ये बात तब निकलकर सामने आई था जब, पिछले साल बीजेपी ने सांसदों और मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड जारी किया था.. यूपी में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को मौजूदा सांसदों के रिपोर्ट कार्ड बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी...चलिए अब जरा बीजेपी का पिछला इतिहास भी संखालने की कोशिश करते हैं...
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में एसपी और बीसपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था...और तब एनडीए को 80 में से 73 सीटों पर जीत हांसिल हुई थी...इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में भी जब इन पार्टियों ने अलग-अलग लड़ा तो बीजेपी ने इन दोनों का सूपड़ा साफ कर दिया... 403 सदस्यों की विधानसभा में एसपी को सिर्फ 47 और बसपी को 19 सीटें मिलीं...एसपी की सहयोगी कांग्रेस को तो महज सात सीटें मिल पाईं थीं...बीजेपी गठबंधन को जबर्दस्त 325 सीटों पर जीत मिली थी....लेकिन साल 2017 के वोटों को ही आधार मानें तो बीजेपी को लोकसभा चुनाव में भारी चुनौती मिलने वाली है...हालांकि आंकड़े अगर 2014 के लोकसभा के मुताबिक रहे तो एसपी बीएसपी को मिलने के बाद भी महज 41 सीटें ही पाएंगी....और बीजेपी को 37 सीटों पर जीत मिल सकती है....साल 2017 के आंकड़ों के मुताबिक एसपी बीएसपी मिले तो उनकी सभी 57 लोकसभा सीटों पर औसतन 1.45 लाख वोटों से जीत होगी...बीजेपी को 23 सीटों पर औसतन 58,000 वोटों के लीड से जीत मिल सकती है....बीजेपी को सिर्फ चार सीटों वाराणसी, मथुरा, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर में 1 लाख के ज्यादा मुनाफे से जीत मिल सकती है...
उधर समाजवादी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने फिर एक ऐसा बयान दिया है जो उनके बेटे और एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव के लिए झटका साबित हो सकता है....मुलायम ने यूपी में एसपी-बीएसपी गठबंधन पर हमला बोला है और इस बात पर आपत्ति जाहिर की है कि अखिलेश यादव इस गठबंधन में आधी सीटों पर राजी हो गए...।।
राजघरानों की से आवाज कब किसके हक में उठ जाए ये कोई नहीं जानता...कभी यूपी में बीजेपी पर आरोप-प्रत्यारोप की बौछार करने वाले मुलायम सिंह सख्त तेवर दिखाते थे...लेकिन आज वो बीजेपी के रहनुमा बनते दिख रहे हैं....हलांकि इसके पीछे सवाल तो कई हैं लेकिन सवालों का जवाब मुलायम के कुनबे में कोई नहीं देना चाहता....कुछ दिन पहले मुलायम संसद में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर मेहरबान थे....वो लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत और सत्ता में वापसी की कामना कर चुके हैं...लेकिन अब वो अखिलेश पर ही निशाना साधते दिख रहे हैं...मुलायम ने कहा कि आखिर कैसे अखिलेश यादव बहुजन समाज पार्टी के साथ ऐसे गठबंधन के लिए राजी हो गए जिसमें समाजवादी पार्टी के हिस्से में आधी सीटें आई हैं...
मुलायम ने तो ये तक कहा कि पार्टी के लोग ही पार्टी को खत्म करने में जुटे हैं...महिलाओं को पार्टी में तरजीह नहीं मिल रही....हमने इतनी बड़ी पार्टी बनाई,  लेकिन पार्टी को अब कमजोर किया जा रहा है....मुलायम ने कहा कि सूबे की 80 लोकसभा सीटों में से सिर्फ 25-26 सीटें ही जीत सकते हैं....मुलायम सिंह यादव ने कहा, 'मैंने अखिलेश से कहा है कि लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के नाम का एलान कर दो जिससे को तैयारी कर सकें. बीजेपी तैयारियों के मामले में हमसे आगे निकल गई है...।।
हमने 14 महीने पहले उम्मीदवारों के नाम फाइनल कर दिया था और बड़ी जीत मिली थी. लेकिन अखिलेश अभी तक टिकट ही नहीं तय कर पाए... उन्होंने कहा कि कि जीतने वाले नेताओं को टिकट दो...शिवपाल को भी लोग नाम दे रहे हैं. टिकट देने भले ही अखिलेश के हाथ में तो हटाना मेरे हाथ में है...
ये बयान मुलायम का ऐसे वक्त पर आया जब लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने गठबंधन किया है...इस गठबंधन के तहत अखिलेश यादव और मायावती कुल 80 सीटों में से 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ने पर सहमत हुए हैं...यूपी की राजनीति के इन दो धुर विरोधियों का एक साथ आना प्रदेश की राजनीति के पुरोधा मुलायम को रास नहीं आ रहा है...ये पहली बार है जब मुलायम सिंह यादव ने एसपी और बीएसपी गठबंधन पर अपनी चुप्पी तोड़ी है....मुलायम को आपत्ति इस बात पर है कि उनके बेटे अखिलेश यादव ने चुनाव से पहले ही आधी से ज्यादा सीटों पर अपनी दावेदारी आखिर कैसे छोड़ दी. यूपी से इस समय सपा के सात सांसद हैं जबकि बहुजन समाज पार्टी का एक भी सांसद नहीं है. मुलायम ने सपा-बसपा गठबंधन पर सवाल उठाकर एक तरह से अपने छोटे भाई और अखिलेश के विरोधी शिवपाल यादव के सुर में सुर मिलाया है जिन्होंने अलग पार्टी बनाकर एसपी के खिलाफ बिगुल फूंका हुआ है....मुलायम के इस बयान को बीजेपी ले उड़ी और लगातार अखिलेश पर हमला करने के लिए इसका इस्तेमाल भी कर रही है. ऐसे में मुलायम का नया बयान अखिलेश यादव की मुश्किलें और बढ़ा सकता है.
प्रमोद शर्मा..

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