मंत्री जी कब तक मरते रहेंगे लोग ?
मंत्री जी कब तक
मरते रहेंगे लोग ?
यूपी के साथ पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में जहरीला शराब ने फिर तांड़व मचाया...
दोनों राज्यों में मौत की ये मदिरा 76 जिंदगियां लील गई...लेकिन प्रसाशन मौत के इस
खेल को खामोशी से देखता रहा...इन मौतों में जहां कई परिवारों को बेसहारा किया है,
वहीं प्रशासन नाकामियों को भी उजागर किया है...क्योंकि ये पूरा खेल प्रशासन की नाक
का नीचे चलता था...।।
यूपी से लेकर उत्तराखंड तक लोगों की अर्थियां
सजी हैं....परिवार की चीख-चीत्कार से गमजदा चेहरों पर अजीब सा का आक्रोश है...इस
आक्रोश से फूटता एक ही सवाल है....आखिर सरकार कब तक मरते रहेंगे लोग ? और यूपी से लेकर उत्तराखंड तक इन मौतों का
जिम्मेदार कौन है ? पुलिस या प्रशासन...सवाल
यह भी है कि मरने वाले शराब के तलबगार हैं...तो इनको मौत की मदिरा परोसने वाला
मददगार कौन हैं ? कौन बांट रहा था मौत का
सामान और किसकी शह पर हो रहा है जहरीला खेल … प्रशासन का यह
तर्क मान भी लें कि, मौत शराब से नहीं हुई तो फिर एक यूपी और उत्तराखंड में करीब
76 मौतें कैसे हुईं...इन मौतों को लेकर आखिर ग्रामीणों का आक्रोश अवैध शराब
कारोबार और इसके जिम्मेदार को लेकर ही क्यों है ?
यूपी के सहारनपुर और कुशीनगर में जहरीली शराब पीने से 57 लोग मौत
के आगोश में समा गए.. जबकि काफी लोगों की
हालत गंभीर है....उनका मेरठ और सहारनपुर में इलाज चल रहा है...वहीं हरिद्वार जिले
के भगवानपुर के कुछ गांवों में भी जहरीली शराब पीने से 19 लोगों की मौत हो
गई...जबकि करीब कई लोगों की हालत गंभीर है....जहरीली शराब पीने से हुई दोनों
घटनाएं शुक्रवार की हैं...और ये कोई पहला या अंतिम मामला नहीं है.... यूपी समेत
देश के कई राज्यों में आए दिन जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत होती रहती है....
ऐसे में सवाल उठता है कि हर साल हजारों मौतों की जिम्मेदार बनने वाली ये जहरीली
शराब आती कहां से है ? या शराब कैसे जहरीली बन
जाती है ?
मौत की मदिरा का ये तांड़व कोई पहली बार नहीं हुआ...इससे पहले भी ये जहरीली
शराब गरीब लोगों की मौत की मददकार रही...लेकिन प्रशासन की आंख फिर भी नहीं खुली...57 लोगों की मौतों के बाद, प्रशासन के पास बचाव का कोई हथियार नहीं हैं...हालांकि
ग्रामीणों के आक्रोश के आगे मजबूर प्रशासन शवों का पोस्टमार्टम करा रहा है....अब
रिपोर्ट क्या आएगी यह तो समय बताएगा लेकिन लोगों का आक्रोश के साथ शराब से हुई
मौतों की गूंज बहुत कुछ कह रहा है, और एक ही सवाल पूछ रहा कि सरकार इश जहर से ये
लोग कबतक मरते रहेंगे...।।
कुशीनगर व सहारनपुर में शराब से हुई मौतों ने एक बार फिर सरकार पर सवाल खड़े
कर दिए हैं। हादसा बड़ा है, लिहाजा कुछ कार्रवाई भी तय है और अवैध शराब
कारोबारियों के खिलाफ अभियान भी चलाया जाएगा। मगर बड़ी कार्रवाई कब होगी, यह सवाल बना ही रहेगा ?..
देखते जाइये सरकार, ये खेतों में मिठास उगाने वाले लोगों की मौत का तंड़व
है....एक बाद बाद एक लाशें बिछती जा रही हैं और आपका प्रशासन मौत के इस खेल पर आंख
मिचौली का खेल खेल रहा है जो वो पहले से खेतता आया...क्योंकि आपके प्रशासन को मौत
से नहीं बल्कि, पैसो से सरोकार है....इसलिए वो मौत के सौदागरों की खुले दिल से
पैरोकारी करते हैं...क्योंकि, प्रदेश में जब भी ऐसी मौत का तांड़व हुआ जांच हुई और अवैध शराब कारोबारियों के खिलाफ अभियान चलाकर कुछ विभाग के
अधिकारियों पर कार्रवाई भी हुई....पर, वक्त के साथ सारे मामले
दफन गए... आबकारी कानून को और भी सख्त बनाया तो गया, लेकिन फिर भी मौत की इस
मदिरा से होने वाली मौतों का सिलसिला नहीं रुका...
पिछले साल बाराबंकी में जहरीली शराब पीने से नौ लोगों की मौत हो गई थी... इस
मामले में इंस्पेक्टर को सस्पेंड किया गया था... जबकि शासन स्तर पर तर्क दिया गया
कि मौत स्प्रिट पीने से हुई...न कि अवैध शराब पीने से...लिहाजा अधिकारियों के खिलाफ
कार्रवाई नहीं की गई... इसी तरह आजमगढ़ में अवैध शराब पीने से 25 लोगों की
जान गई थी...इस मामले में भी यह कहकर अधिकारियों को बख्श दिया गया
था कि,....जिले में उनकी नियुक्ति कुछ दिन पहले यहां की गई थी....हालांकि कानपुर
की घटना में कुछ बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई जरूर हुई थी....लेकिन आंच लखनऊ तक नहीं पहुंच सकी....वहीं, हर घटना के बाद 7
से 15 दिन तक विशेष अभियान चलाकर प्रदेश भर में लाखों लीटर अवैध शराब पकड़ी जाती
है.... फिर अगले हादसे के इंतजार में अभियान थम जाता है....
यूपी सरकार ने 19 सितंबर 2017 को अध्यादेश जारी कर 107 साल पुराने
आबकारी अधिनियम में संशोधन किया था....इसमें एक नई धारा जोड़ते हुए
अवैध शराब से मौत होने या स्थायी अपंगता होने पर आजीवन कारावास या 10 लाख रुपये का
जुर्माना या दोनों या मृत्युदंड तक का प्रावधान किया गया। वहीं...अधिकारियों
के अधिकारों में भी बढ़ोतरी की गई थी....साथ ही उनकी भूमिका पाए जाने पर
बर्खास्तगी तक का प्रावधान किया गया था...लेकिन हुआ का यूपी में इस जहरीली शराब से
56 लोग फिर मौत का शिकार हो गए...और ये उसी योगी सरकार के कार्यकाल में हुआ जो ऐसे
मौत के सौदागरों नकेल कसंने की मुनादी करते हैं...योगी सरकार में अवैध शराब से मौत
की यह पांचवीं बड़ी घटना है...पिछले साल मई में कानपुर के सचेंडी और कानपुर
देहात में जहरीली शराब पीने से एक दर्जन से अधिक लोगों की मौत हुई थी....जुलाई
2017 में आजमगढ़ में अवैध शराब पीने से 25 लोगों की मौत हुई थी...इसी तरह 12
जनवरी 2018 को बाराबंकी में अवैध शराब पीने से 9 लोगों की मौत हुई थी...चलिए
आपको ग्राफिक्स के जरिए बताते हैं मौत के इस आंकड़े का पूरा गणति...।।
GFX IN
20 मई 2018
कानपुर देहात के रूरा में 9 लोगों की मौत
19 मई 2018
कानपुर नगर के सचेंडी में 7 लोगों की मौत
12 जनवरी 2018
बाराबंकी में 9 लोगों की मौत
2017
आजमगढ़ में 25 लोगों की मौत
2016
एटा में 24 लोगों की मौत
2015
लखनऊ व उन्नाव में 42 से अधिक की मौत
2013 आजमगढ़ के मुबारकपुर में 47 लोगों की मौत
2011
वाराणसी में 12 लोगों की मौत
यूपी में शराब माफियाओं के हौसले इसने बुलंद हैं कि, प्रशासन की नाक के नीचे
वो मौत का ये खेल खुलेआम खेलते हैं...लेकिन प्रशासन इस कार्रवाई करने से बचता
है...जबकि, मौत के सौदागरों का ये खेल यूपी से लेकर उत्तराखंड बदस्तूर जारी है...आखिर कैसे तैयार होती है
जहरीली शराब और कैसे बन जाती है मौत का सामान ? इस रिपोर्ट में
देखिए...।।
यूपी में सहारनपुर और कुशीनगर उत्तराखंड के रूडकी देखते ही देखते.... 76 से ज्यादा लोगों की मौत का कल्लगाह बन गया
चारों और चीख पुकार मच गई...एक के बाद एक लाशें गिरती चली गई...कोई अपनों को बचाने
में लगा था कोई एंबूलेंस को तलाशनें में लगा था..लेकिन करते क्या मौतों का आंकड़े
थमने वाला नहीं था, क्योंकि, जहर के सौदागरों का ये मायाजाल इतना मजबूत था कि,
प्रसासन इसके सामने घुटने टेकता नजर आ रहा था....इस जहरीली शराब से मरने वाले
ज्यादातर वे लोग हैं जो....उत्तराखंड में एक तेरहवीं में शरीक होने गए थे....जैसे
ही ये लोग समारोह से वापस लौटे तो मौतें होनी शुरू हो गई....प्रशासन की लापरवाही
के लिए सरकार ने थाना प्रभारी सहित दस पुलिसकर्मा और आबकारी विभाग के तीन
इंस्पेक्टर और दो कांस्टेबर को सस्पेंड मौत का मरहम लगा दिया....।।
बाइट-
डीजीपी ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों और पुलिस कप्तानोंको निर्देश दिए कि
जहरीली शराब के मामले में पूरे जिले में छापेमारी और खोजबीन की जाए... सरकार की
तरफ से साफ निर्देश यह भी दिए कि जिस जिले में लापरवाही होगी वहां के पुलिस कप्तान
और जिलाधिकारी को इसका खामियाजा भुगतना होगा....सहारनपुर और कुशीनगर मे हुई मौतों
के बावजूद जानलेवा शराब की तस्करी का धंधा थमने का नाम नहीं ले रहा है....कुशीनगर
में पुलिस और आबकारी की टीम ने छापा मारकर भारी संख्या में शराब बरामद की....जाहिर
है प्रशासनिक आदेश के बाद अधिकारी भी एक्शन मोड में हैं और पूरे प्रेदश में अभियान
चलाया जा रहा है....अब सवाल यह उठता है कि कच्ची शराब जहरीली कैसे बन जाती है?
इसको बनाने की प्रक्रिया के बारे में सुनकर आप
हैरान हो उठेंगे…जी हां, कच्ची शराब को
बनाने में इस्तेमाल होने वाली महुए की लहन को सड़ाने के लिए ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल
किया जाता है…कहीं-कहीं इसमें नौसादर और यूरिया भी मिलाया जाता है.
ऐसे बन जाती है जहरीली?
चलिए अब आपको यह बताते हैं कि कच्ची शराब जहरीली क्यों हो जाती है...कच्ची
शराब को ज्यादा नशीली बनाने के चक्कर में जहरीली हो जाती है....इसे
बनाने में गुड़, शीरा से लहन तैयार किया जाता है...लहन को मिट्टी में गाड़ दिया जाता है....इसमें
यूरिया और बेसरमबेल की पत्ती डाला जाता है...ज्यादा नशीली बनाने के
लिए इसमें ऑक्सिटोसिन मिला दिया जाता है, जो मौत का कारण बनती है....कुछ जगहों पर कच्ची शराब बनाने के लिए
पांच किलो गुड़ में 100 ग्राम ईस्ट और यूरिया मिलाकर इसे मिट्टी में गाड़ दिया जाता है.....यह लहन उठने पर इसे भट्टी पर चढ़ा
दिया जाता है...गर्म होने के बाद जब भाप उठती है,
तो उससे शराब उतारी जाती
है...इसके अलावा सड़े
संतरे, उसके छिलके और सड़े गले अंगूर से भी लहन तैयार किया जाता है...।।
कैसे होती
है मौत ?
कच्ची शराब में यूरिया और ऑक्सिटोसिन जैसे केमिल पदार्थ
मिलाने की वजह से मिथाइल एल्कोल्हल बन जाता है….इसकी वजह से ही
लोगों की मौत हो जाती है...मिथाइल शरीर में जाते ही केमिकल रिएक्शन तेज
होता है...इससे शरीर के अंदरूनी अंग काम करना बंद कर देते हैं….इसकी वजह से कई बार तुरंत मौत हो जाती है...कुछ
लोगों में यह प्रक्रिया धीरे-धीरे होती है….इस इलाके में
पिछले काफी समये से बरामद शराब की बड़ी खेप
और स्प्रिट यह बताता रहा कि, यहां अवैध शराब का धंधा बो रोकटेक चल रहा है...पर
बरामदगी के नाम पर पुलिस अपनी पीठ थपथपाती रही... लेकिन मौत के इस खेल को रोक न
सकी.... ऐसे में मौत हुई तो कोई अचरज की बात नहीं...,.मुकामी पुलिस-माफिया का
गठजोड़ हावी रहा.. पुलिस और प्रशासन
इससे बाबस्ता रखता नजर नहीं आ रहा... लेकिन जो नजर आ रहा है, उसे नजरअंदाज करना भी उसके लिए इतना आसान नहीं है.... सदन पहुंची मौतों की यह
गूंज जिम्मेदारों के गिरेबां तक जा सकती है...चर्चा के माहौल में मौतों की तारी
सुर्खियां जवाब-सवाल करती दिख रही हैं…हर कोई यही पूछ
रहा है आखिर इन मौतो का जिम्मेदार आखिर कौन है ?
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