यूपी में गौशाला का सच !


आवारा गोवंश को लेकर, जहां यूपी सरकार एक्शन में हैं...वहीं जिले की अफसरशाही इसे लेकर गहरी नींद में है...आवारा पशु यहां लोगों के लिए बडी समस्या बनी हुई है...लेकिन उन्हे रोकथाम की सभी योजनाएं दम तोड़ रही है...कहीं किसान गोवंश को स्कूलों बंद कर रहे हैं तो कहीं,...आवारा सांड बीच सड़क पर जुगाली करते नजर आ रहे हैं...।। 
वीओ-1
कृष्ण का धरती पर गाय की ऐसा दुर्गति होगी ये किसी ने सोचा भी नहीं था...क्योंकि, हिन्दू रीति-रिवाज में गाय की पूजा कभी हुआ करता थी...लेकिन, आज के हालात देखकर गाय की तकदीर और तस्वीर दोनों ही बदहाल है....किसानों का नाता गाय से सिर्फ इतना ही रह गया कि, तबतक दूध जब माता, उसके बाद बंद खाता...ये उसी कृष्ण की नगरी मथुरा वृदावन की तस्वीर है...जहां कभी ग्वालों और गाय के संग भगवान श्री कृष्ण लीलाएं करते थे....लेकिन आज इसी धरती पर गाय कैसे भूख से मर रही है...कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे कैसे अपना जीवन व्यतीत कर रही है तस्वीर आपके सामने है....जिले अफसरशाही घरों में रूम हिटर का मजा लूट रहे हैं....लेकिन गाय की तकदीर कैसे बदले इस पर कोई गंभीर नहीं दिखता....इतना ही नहीं किसान भी गाय से अपना पीछा छुड़ाने की खातिर, उसे कभी स्कूल में बंद कर देते हैं तो,.. कभी, सड़कों पर मरने के लिए छोड़ देते हैं

TV 24 की टीम ने जब सड़कों पर गाय की इस बदहाली का जायजा लिया तो, सूबे की नौकशाही और अफसरशाही दोनों की पोल खुलती नजर आई...सबसे पहले हमारी टीम वृदावन में कान्हा पशु  आश्रय पहुंची...जहां गौवंश के लिए गौशाला का निर्माण तो होते दिखा, पर खाने की आस में गाय नजरे तराशती दिखी...इसके बारे में जब गौशाला के सुपरवाइजर से बात की गई तो...आप खुद सुनिए इस बाबत उनका क्या कहना है...।।    
बाइट, मनमोहन पाठक, गोशाला सुपरवाइजर 
गाय की गोशाला में क्या दुर्दशा है इसे गौशाला कर्मचारी भी नहीं नकारते....जानकारी के मुताबिक, मथुरा वृदावन में बनाए गए करीब 20 गोआश्रय में गोवंश भूख- प्यासा तड़प रहा है...इन्हें चारा और पानी पिलाने की व्यवस्था के लिए बनाई गई अस्थाई गोआश्रय स्थल समिति सिर्फ कागजी आदेश बन कर रह गई है....हालांकि, किसानों के प्रदर्शन के बाद,...जिला प्रशासन ने कासिमपुर, अकोस, सारस, ऊधर, इरौली गूजर, संकेत, तूमौला, अकबरपुर, राल, झुडावई, नौहझील में बाघर्रा में अस्थाई गोआश्रय स्थल बनाए हैं...जिसमें 100 से लेकर 1500 तक गायों को रखने का इंतजाम किया जाना था....इसके लिए ग्राम प्रधान, आठ विभागों के कर्मचारियों समेत, 20 सदस्यों की समिति बना दी गई....लेकिन यह समिति ग्राम प्रधान तक सिमट कर रह गई है....जबकि, गोशाला का संचालन ग्राम प्रधान ही कर रहे हैं....नौहझील के बाघर्रा में माता मंदिर के पास बनाई गोशाला में ग्राम पंचायत निधि से सबमर्सिबल लगा दी है.... कुछ ग्रामीणों ने भूसा डाल दिया है....गोशाला में भूख से रोजाना गाय मर रही हैं....जबकि यही स्थित और गोशालाओं की भी है....
बाइट—पुलिस अधिकारी
इतना ही नहीं खेतों में फसल को खराब कर रहे गोवंश से परेशान किसानों से सैकड़ों गोवंश प्राइमरी स्कूल में बंद कर दिए....जिसके चलते स्कूली छात्र स्कूल के बाहर भटकते रहे.. इस समस्या के चलते स्कूलों की छुट्टी करनी पड़ी...आनन-फानन में प्रशासन ने 50 किसानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया...लेकिन, गाय की दशा कैसे सुधरेगी.. इस पर अभी प्रशासन भी खामोशी साध गया....सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने आवारा घूम रहे पशुओं को  संरक्षक देने के लिए अस्थाई गौशालाओं बनाने के आदेश दिए...जिसका जिम्मा ग्राम प्रधान समेत जिले के आलाधिकारियों दिया गया, लेकिन सीएम को आदेशों का पालन कितना हो रहा है...तस्वीरे आपके सामने है...।।
मथुरा से TV 24 के लिए सौरव गौतम की रिपोर्ट
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किसानों का विरोध बेजुबानों की जान पर गौरखपुर में भारी पड़ रहा है....यहां भी गोरक्षा के नाम पर सरकारी योजनाएं दम तोड़ रही है....गाय बीच सड़क पर खाने की तलाश में भटक रही है..लेकिन प्रशासन तमाशबीन बनकर तमाशा देख रहा है...रिपोर्ट देखिए...।।
वीओ-1
गोरक्षा के नाम पर नफरत की राजनीति करने वालों ये तस्वीर देखिए...जिस देश में गाय को माता के तौर पर पूजा जाता है, जहां पर गाय के नाम पर हत्याएं हो जाती हैं....अब उसी देश में ये गायें किसानों की कैसे दुश्मन बन रही हैं, प्रशासन की पोल खोलती इन तस्वीरों में देखिए....ये तस्वीर कभी सुबे मुखिया योगी आदित्यनाथ का संसदीय क्षेत्र रहे गोरखपुर की है...जिस गाय के लिए यूपी में नफरत की आग भड़कती है...गोहत्या को लेकर लोग एक दूसरे का खून बहाते हैं....आज वहीं गाय सड़कों पर आवारा पशुओं में गिनी जा रही है....गाय का ये हाल उस सरकार के कार्यकाल में हो रहा है...जिसकी राजनीति का पहला पन्ना ही गौरक्षा से खुलता है...यूपी के हर शहर में गोरक्षा के नाम पर अस्थाई गोशाला बनाने के आदेश दिए गए....गाय के लिए हर शहर में योजनाएं चलाई गई...बावजूद उसके भी यूपी में न तो गाए की तस्वीर बदली और नहीं उसकी तकदीर सुधरी...सबूत के तस्वीर आपके सामने हैं...।।
एक जमाना था जब गाय-बैल देश के किसानों की सबसे बड़ी पूंजी हुआ करती थी....लेकिन देश में जैसे-जैसे तकनीकि ने अपनी दस्तक दी...वैसे-वैस किसानों के लिए बैल बोझ बन गए, और जब गायें ने दूध देना बंद कर दिया को...वो भी किसान के लिए बेकार होती चली गई.....इसके बाद पूरे गोवंश की ही दुर्दशा ऐसी हो गई कि, वो खुद किसानों का दुश्मन बन गई....उत्तर प्रदेश की सत्ता संभालते ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि, जो भी गाय और बछड़े सड़कों पर आवारा घूम रहे हैं, उनके लिए गौशाला बनावाकर देखभाल की जाए....लेकिन खुद सीएम का शहर गाय की दुर्गति का आलम बन गया...ये हम नहीं कह रहे ये तस्वीर खुद आपके सामने सच्चाई बयान कर रही है...आवारा गोवंश रोड पर घूम रहे है...हालांकि, कई बार सरकार के आदेशों का असर भी देखने को मिला क्योंकि, जब गौवंश को इस तंडव से कई लोग हादसे का शिकार होते चले गए तो...सरकार को मजबूरन शक्ति बरतनी पड़ी....जिसके चलते आधिकारियों की टोली सड़कों पर गाय को पकड़ने के लिए निकल पड़ी...लेकिन हालात फिर भी नहीं सुधरे...।।   

जिला अधिकारी के मुताबिक, नगर निगम की तरफ से....करीब आठ करोड़ की लागत से महाराजगंज में गौशाला बनाई जा रही है....जो इन आवारा पशुओं के लिए आसरा बनेगी, लेकिन ये गौशाला बनेगी कबतक ये कोई नहीं जानता....हालांकि, जिलाधिकारी महोदय इस बात का भी दावा कर रहे हैं कि वो, करीब 1000 हजार आवार पशुओं रोजना पकड़कर गोशाला में भेजते हैं...ऐसे में सवाल उठता है कि, अगर जिला प्रशासन गाय को रक्षा को लेकर इतना सजग है तो, सड़कों पर गाय की इस दुर्दशा का जिम्मेदार कौन है...।।     

गोरखपुर से TV 24 के लिए संजय कुमार


क्यों योगी सरकार का गोप्रेम दिखावटी लगता है


उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार के दौरान आजम खान की भैंस चोरी हो जाने का किस्सा बहुतों को याद ही होगा…भैंस की चोरी क्या हुई थी, पुलिस की शामत आ गई थी…आजम खान का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया....तब पुलिस सारे काम छोड़कर भैंस खोजो अभियान में जुट गई थी...अब ठीक ऐसा ही योगी सरकार के राज में भी हो रहा है….फर्क सिर्फ इतना है कि तब पांच जिलों की पुलिस भैंस खोजने में जुटी हुई थी,….लेकिन अब सारे उत्तर की पुलिस गाय को खोजने में जुट गई है...उस समय आजम गुस्से में थे, इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुस्से में हैं....उनका गुस्सा वाजिब भी है...क्योंकि, आवारा पशुओं ने सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं....उनसे खेती को बड़ा नुकसान हो रहा है...।।

सड़कों पर इन आवारा पशुओं के चलते सड़कों पर दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं...साथ ही, इनकी वजह से समाज में तेज हो रहा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण, कानून-व्यवस्था भी बिगाड़ रहा है....अभी हाल में गोहत्या के एक मामले में लखनऊ हाईकोर्ट ने योगी सरकार को लताड़ भी लगाई....इसके बाद योगी सरकार जागती तो दिखी है...लेकिन असर-बेअसर ही रहा...सड़कों पर न तो आवारा गौवंश की संख्या में गिरावट दिखी और नही, इन्हे रखने के लिए कोई विशेष प्रबंध, यह सक्रियता अभी भी लाचारी के मोड़ पर खड़ी है दिख रही है...TV 24 ने जब फतेपुर में इस योजना का रिएलिटी टेस्ट किया...किसानों की नाराजगी इस योजना की पोल खोलती दिखी...।।

हालाकि,प्रशासन के नुमाइंदों की टोली गाय पकडने को लेकर सड़कों पर भी उतरी, लेकिन समाधान कुछ नहींनिकला...गोरक्षा के नाम पर योजनाएं बनती चली गई...पर सिरे एक नहीं चढ़ती दिखी...जुमलेबाजी के इस दौर में न तो गाय को चारा मिल रहा है और न ही रहने का कोई आसरा....जिसके चलते शहरों की सड़के आवारा पशुओं तबेला बन रही है...



सूबे की योगी सरकार ने सभी जिले के जिलाधिकारियों को अल्टी मेटम दिया था कि 10 जनवरी तक सभी जिलों में आवारा जानवरों को गौशाला में पकड़-पकड़कर छोड़ दिया जाएगा....लेकिन सीएम की सख्ती का असर फतेहपुर में कितना हुआ है...इसकी सच्चाई तस्वीरे खुद बयां कर रही है...किसान हमेशा की तरह आज भी रात और दिन में अपने खेतों की पहरीदारी करते हैं...पूरे जिले में करीब 17 गौशालाओं का निर्माण किया जा रहा है....शहर से लगे रारा में एक 35 बीघा जमीन पर सरकारी गौशाला का निर्माण किया जा रहा है....जिसमें सभी सुविधाएं देने का वादा भी किया जा रहा है...लेकिन ये सुविधाएं कब दी जाएंगी इसका जबाब किसी के पास नहीं है.

हालांकि, इस गौशाला में काफी संख्या में जानवर आ चुके हैं...दावा तो यह भी किया जा रहा है कि, गौशाला की देखरेख सरकारी खर्च पर होगा और जानवरों की देखरेख के लिए तालाब, समरसिबल और शेड़ तक बनाए जाएगी...लेकिन, इन योजनाओं से गौमाता को कितनी मुक्ति मिलेगी ये सवाव अभी भी मूंह बाए खड़ा है....।।






 जौनपुर में किसानो की फसलो के लिए जानी दुश्मन बन चुके आवारा
पशुओ को आसरा देने वाला सरकारी आशियाना अब उन्ही पशुओं के  लिए कब्रगाह
बनता जा रहा है। भूख और ठण्ड के चलते अब तक आधा दर्जन से अधिक पशुओ की
मौत हो चुकी है। सबसे हैरत की बात यह है कि जब जानवरो की हालत विगड़ती है
तो उनका इलाज नही बल्की कब्र पहले ही खोद दिया जाता है। उधर नगर पालिका
प्रशासन पशुओ के मौत होने की पुष्टि नही कर रहा है। जबकि गौशाला के केयर
टेकर ने पांच जानवरो की मौत होने की बात स्वीकार किया है।
VO-1
सूबे में योगी सरकार बनते ही प्रदेश के सभी अवैध भूचड़खानो पर ताला
लगा दिया गया। स्लाटर हाऊस बंद होने के कारण शहर से लेकर गांव तक आवारा
पशुओ की बाढ़ आ गयी है। ये जानवर अपनी भूख मिटाने के लिए कढ़ी मेहनत से
उगाई गयी किसानो की फसलो को अपना निवाला बना रहे है। उधर शहर की सड़को पर
आवारा पशुओ ने अपना कब्जा जमा लिया है। जिसके कारण शहर में जाम स्थिति भी
बन जाती है कभी कभी ये जानवर हिंसक रूप धारण करके राहगीरो पर हमला बोल
देते है।
BITE-
राम अवतार किसान
BITE-
शिव शंकर किसान
VO2- 
किसानो की आवाज  शासन तक पहुंची तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने
दस जनवरी  तक सभी ब्लाक स्तरो पर आवारा पशुओ का आश्रय बनाकर उनके खाने
पीने का व्यवस्था करने का आदेश दे दिया । सरकार का हुक्म मिलते ही डीएम
खुद कई गांवो में जमीने तलास करकर गौशाला बनाने का आदेश दिया है। हालाकि
शहर के आवारा पशुओ के लिए प्यारेपुर गांव में खुले आसमान के निचे
नगरपालिका द्वारा 6 महीने पहले की आश्रय बनाया गया है । लेकिन गोशाला में
सभी मवेशी खूले असमान के नीचे रहने को मजबूर है | गौशाला के  केयर टेकर
ने बताया कि खाने पीने की व्यवस्था के साथ खुले आसमान के निचे रहने के
कारण अब तक आधा दर्जन पशुओ की चुकी है। कई पशुओ की हालत खराब है।

उधर नगर पालिका परिषद के ई ओ कृष्णचंद्र ने जानवरो की मौत होने की
खबर को एक सिरे से खारिज करते हुए कहा कि पशुओ के मरने की खबर मिली थी
मैने खुद जाकर पता किया तो यह खबर झूठी निकली। आश्रय में खाने पीने की
कोई कमी नही।
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 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन जनवरी को ही वीडियो
कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलाधिकारियों को 10 जनवरी तक बेसहारा एवं
आवारा पशुओं को गो-संरक्षण केंद्रों में पहुंचाए जाने के स्पष्ट आदेश दिए
थे। इसके बावजूद कौशांबी में अभी तक आवारा पशुओं को गो-संरक्षण केंद्र
में नही पहुंचाया गया है। आलम यह है कि आवारा पशुओं का झुंड किसानों के
खेतों से लेकर जिले की सड़कों तक कि नही सीमित है बल्कि कलेक्ट्रेट में भी
बराबर देखे जाते है। जिला मुख्यालय मंझनपुर से सामने आई गोवंशों की इन
तस्वीरों को देखने के बाद तो सहजता से अंदाजा लगाया जा सकता है कि
मुख्यमंत्री के स्पष्ट आदेश के बाद भी कौशांबी के जिम्मेदार अधिकारी सीएम
के मंशा पर पलीता लगा रहे है।

 
गोवंश के संरक्षण के लिए भले ही सूबे के मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ ने कांजी हाउस का नाम बदल कर गो-संरक्षण केंद्र रख दिया हो तथा
10
जनवरी तक सभी बेसहारा एवं आवारा पशुओं को गो-संरक्षण केंद्रों में
पहुंचाने के स्पष्ट आदेश जारी किए हो, लेकिन सीएम की डेड लाइन खत्म होने
के बावजूद भी कौशाम्बी में अभी तक आवारा गोवंशों को संरक्षण नही मिला है।
किसान के खेतों में झुंड बनाकर घूम रहे आवारा पशु फसलों को तो नष्ट ही कर
रहे है। इसके अलावा जिले की सड़कों पर भी बढ़ती दुर्घटनाओ की वजह बन रहे
है। हैरानी की बात तो यह है कि अब तो कलेक्ट्रेट में भी आवारा पशु छुट्टा
घूम रहे है, लेकिन इन्हें गो-संरक्षण केंद्रों तक पहुंचाने वाला भी कोई
नही है. वही मीडिया के सवालों पर कौशाम्बी के जिलाधिकारी मनीष कुमार
वर्मा का कहना है कि जिले में लगभग छह हजार आवारा पशु चिन्हित किये गए
है। इनके लिए 23 गोशाला बनवाये जा रहे हैं। एक गौशाला जिलास्तर की
कादिराबाद में एक करोड़ बीस लाख रुपये की लागत से बनाई जा रही है। जिले के
ऐसे पशुपालक चिन्हित किये जा रहे हैं जिनके दुधारू पशु दिन भर सड़को पर
घूमते रहते है। इनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।

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