शहादत मांगे बदला...सुन ले पाकिस्तान…अब नहीं सहेगा ‘हिंदोस्तान’


तुफान की तरह रही 2019 की शुरूआत, पुलवामा में सीआपीएफ पर हुए हमले नें सबको झकझोरा है...सरकार की नीतियों को कठघरे में खड़ा किया गया...कांग्रेस ने प्रधानमंत्री पर हमला बोला..सोशल मीडिया पर सरकार के बड़बोले-पन का मजाक उडाता जाता रहा है...लेकिन इन हलचलों से अलग उन शङीदों के उन गांव लेकर चलेंगे हम..जहां उनके प्राथिव शरीर का इंतजार हो रहा है...जहां से आवाज आ रही है अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों...।।
                 
44 जवानों की एक साथ शहादत हिन्दुस्तान के सीने पर उस नासूर की तरह चिपक गई है..जिसकी टीस अरसे तक चुभती रहेगी...इस हमले में हमने सिर्फ आपने जवानों को ही नहीं खोया...सीमा सुरक्षा को लेकर आत्म विश्वास भी खोया है...कोई भी नहीं समझ पा रहा है, और न ही सरकार समझा पा रही है कि, हमारा अगला कदम क्या होना चाहिए...इस मातम के बीच पहले यूपी के शामली चलिए और देखिए सिपाही अमित कुमार और प्रदीप कुमार होने का क्या मतलब होता है...।।
   
मातरे हिंद की हिफाजत में कुर्बान हुए हैं लाल...रास्ते में है शहीदों का टोला, आखिरी रुखसती के इंतजार में बिलख पड़ा परिवार...इन परिवार के लिए, ठहर गया है जीवन, ठहर गया है मौसम, ठहर गई है रुत, ठहर गया है मातम, रह-रह कर गूंजती है, पिछली बाते मोर्चे पर हूं महफूज रखना है वतन को...कहते हैं बाप के लिए जमीन से भी भारी हो जाती जवान बेटे की लाश, कोई तो कह दे खबर झूठी है...झूठे हैं ये अखबार, हजारों झूठे शब्दों के बीच इस झूठ की गुजाइंश, क्यों नहीं है, क्यों नहीं है...।।
  
पुलवामा से आई इन खबरों ने हर शहीद के गांव को विलाप के अलाप में बदल दिया है...जहां से आती ही सातवें सुर में रुदन की आवाजें, अमित कुमार और शहीद प्रदीप कुमार को ही ले लिजिए..पूरा नाम अमित कुमार 21वीं बटालियन CRPE शहीद प्रदीप कुमार 21 बटालियन CRPF प्रदीप चार दिन पहले अपने चचेरे भाई दीपक की शादी में थे.... दो दिन पहले ही वो ड्यूटी पर गए थे...और फिर से जल्द आने का वादा किया था...लेकिन अब ताबूत रास्ते में है...


पुलवामा से आई इन खबरों ने हर शहीद के गांव को विलाप के अलाप में बदल दिया है...जहां से आती ही सातवें सुर में रुदन की आवाजें, अमित कुमार और शहीद प्रदीप कुमार को ही ले लिजिए..पूरा नाम अमित कुमार 21वीं बटालियन CRPE शहीद प्रदीप कुमार 21 बटालियन CRPF प्रदीप चार दिन पहले अपने चचेरे भाई दीपक की शादी में थे.... दो दिन पहले ही वो ड्यूटी पर गए थे...और फिर से जल्द आने का वादा किया था...लेकिन अब ताबूत रास्ते में है...

दूसरी ओर इसी आतंकी हमले में रेल पार कालोनी निवासी अमित भी शहीद हुए...21वीं बटालियन सीआरपीएफ के शहीद सैनिक अमित के पिता किसान है....चार भाई और एक बहन इंतजार में थी, इंतजार जिसपर समय ने अनंत की तारीख लिख दी...बुढ़ी जुबान लपक जाती है..ये कहते हुए कि, दुश्मनों के माफ मत करना.
अमित डेढ़ साल पहले सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे....15 दिन पहले छुट्टी लेकर घर आए थे...बीते मंगलवार को वापस ड्यूटी पर ये कह कर गए थे कि, वजन की हिफाजत जरूरी है लेकिन, इस बार होली साथ मनाएंगे...होली आने को है, लेकिन प्रार्थना नमंजूर हो गई..मुल्क की मिट्टी पर खुद को ही चढ़ा आए शामली को दो लाल...।।


अब आगे पहाड़ जैसा जीवन है इन परिवारों के पीछे का..चार भाइयों में सबसे छोटे थे अमित अकेले नोकरी में थे..बच्चों की पढ़ाई उनका जीवन, रहना सरहना, और उनकी  जिंदगी,... बाकी सांसे तो चलती ही रहेगी...जैसे-तैजे लेकिन इस परिवार की फिलहाल जिंदगी ठहर सी गई है...तो क्या हुआ कहती है पैरों पाजेब हवाओं जरा झूमकर, बहना आज शहीद का टोला आने वाला है...।।
पुलवामा के हमले में पिछले 16 सालों में देश को शहादत की सबसे बड़ी चोट दी है...इस हमले में देवरिया का रहने वाले विजय कुमार मौर्य भी शहीद हो गए...वो सीआरपीएफ की 92 वीं बटालियन में तैनात थे...नौ फरवरी को ही वो छुट्टी काटकर जल्द आने की वादा करके गए थे लेकिन उनकी जगह उनकी शहादत की खबर आई लेकिन परिजन कहते हम टूटे नही हैं बस इतना चाहते हैं उनकी कुर्बानी व्यर्थ न जाए...।।


शहीद के परिजन उबल रहे हैं अपने दर्द का आंच पर....ढलती जा रही है तड़प की लौ...आंसूओं की स्याही में परिवार को दगा दे गया बेटा...लेकिन, वतन पर कोई आंच नहीं आने दी....और फिर अपने ही भीतर बिलख जाता है अनमोल....।।

पुलवामा में आतंकियों के हाथ शहीद हुए जवानों में सिपाही विजय कुमार मौर्य भी थे...हमले से ठीक दो दिन पहले परिवार वालों से बात हुई थी...कहा था, अभी हालात अच्छे नहीं हैं लेकिन, इस बार होली पर खूब धमाल करेंगे...पता नहीं किसकी नजर लगी आने की खबर तो आई, पर कफन के जिंद में...सबको गुमान है कि, मिट्टी का लाल मुल्क के काम आया है...सबकी नजरें इस उठान की बयान है...लेकिन पलकों के नीचे आया पानी सवाल उगल देता है..आखिर कब तक ?
पुलवामा के हमले में पिछले 16 सालों में देश को शहादत की सबसे बड़ी चोट दी है...इस हमले में देवरिया का रहने वाले विजय कुमार मौर्य भी शहीद हो गए...वो सीआरपीएफ की 92 वीं बटालियन में तैनात थे...नौ फरवरी को ही वो छुट्टी काटकर जल्द आने की वादा करके गए थे लेकिन उनकी जगह उनकी शहादत की खबर आई लेकिन परिजन कहते हम टूटे नही हैं बस इतना चाहते हैं उनकी कुर्बानी व्यर्थ न जाए...।।
शहीद के परिजन उबल रहे हैं अपने दर्द का आंच पर....ढलती जा रही है तड़प की लौ...आंसूओं की स्याही में परिवार को दगा दे गया बेटा...लेकिन, वतन पर कोई आंच नहीं आने दी....और फिर अपने ही भीतर बिलख जाता है अनमोल....।।

पुलवामा में आतंकियों के हाथ शहीद हुए जवानों में सिपाही विजय कुमार मौर्य भी थे...हमले से ठीक दो दिन पहले परिवार वालों से बात हुई थी...कहा था, अभी हालात अच्छे नहीं हैं लेकिन, इस बार होली पर खूब धमाल करेंगे...पता नहीं किसकी नजर लगी आने की खबर तो आई, पर कफन के जिंद में...सबको गुमान है कि, मिट्टी का लाल मुल्क के काम आया है...सबकी नजरें इस उठान की बयान है...लेकिन पलकों के नीचे आया पानी सवाल उगल देता है..आखिर कब तक ?
शहादत युद्ध में होती तो कुछ और बात होती...ऐसे जाने की हसरत तो नहीं थी हमें...और पूछ बैठती है हवाएं, मौत से इश्क का ऐसा दस्तूर कब तक निभाएंगे हम...

मां सिसक पड़ती है अपने शहीद बेटे पर...दूसरा बेटा भी शहादत की विरासत के ताबेदार बनने को तैयार है..याद आती है गुलेरी की वो कहानी उसने कहा था कि, तेरी कुर्रमाई हो गई, धत देखते नहीं, रेशम से कढ़ा हुआ ये शालू...शालू के नीचे मौत थी,..मौत की बाजुओं में विजय कुमार मौर्य की देह...तड़प उठा पूरा परिवार शहीद के आखिरी दीदार को...2 फरवरी को विजय कुमार 10 दिन की छुट्टी लेकर घर आया था...नौ फरवरी को वतन की हिफाजत के लिए फिर लौट गया...भाई की शहादत की जानकारी भी सीआरपीएफ में डीएसपी के पद पर कश्मीर में ही तैनात, चचेरे भाई राजेश मौर्या ने दी...
सूचना के बाद तो घर मे मौजूद बूढ़े पिता रामायन और उनकी भाभी की जैसे दुनिया ही उजड़ गई...पत्नी विजय लक्ष्मी और एक चार साल की बेटी के साथ देवरिया थीं...घटना की जानकारी मिलते ही पूरे गांव में कोहराम मच गया....दर्द में डूबे गुस्से के साथ दर्द का सैलाब भी उमड़ रहा है...लेकिन सियासत के मेले में कुर्बानियों को सिर्फ बदले का अमली जामा पहनाया जा रहा है...क्यो होगा और किया होना चाहिए किसी को नहीं पता..।।
देश में डूबे दर्द के साथ गुस्से का सैलाब भी उमड़ रहा है..पुलवामा में हुए आतंकी हमले में कानपुर कन्नौज और इटावा, प्रयागराज के लाल भी शहीद हुए... मुल्क के बहादुर लाल की शहादत पर जहां देश को फ़क्र है..तो उनके न होने का अफशोश भी...
ये सलामी है उन सपूतों की..जिन्होंने देश के लिए अपनी जान की भी परवाह नहीं की....कहां सबके नसीब में होता है तिरंगे में लिपटना...पुलवामा हमले में शहीद हुए कानपुर, कन्नौज इटावा, प्रयागराज के जंबाज शहीदों को जब अतिंम विदाई दी गई...तो हवाओं ने भी अपनी सांसे थाम ली
कन्नौज तिर्वा के रहने वाले प्रदीप सिंह यादव ने...अपनी बड़ी बेटी सुप्रिया के लिए पढ़ाई करने को लेकर कानपुर में मकान बनवाया था...लेकिन मकान को ऐसी नजर लगी कि, उसके आंगन में उसकी शहादत की फोटो लग गई...पिता जेल में हवलादार है...प्रदीप फरवरी में कानपुर आए थे....लेकिन भारत माता की हिफाजत करनी थी,...इसलिए 10 फरवरी वापस लौट गए...फिर जल्दी आने का वादा किया था..लेकिन ताबूत राह मे है...।।
पुलवामा में शहीद हुए जवानों में प्रयागराज के महेश कुमार भी थे...महेश सीआरपीएफ 118 बटालियन में तैनात थे....उनकी पोस्टिंग बिहार में थी...महेश कुमार अपनी इकलौती बहन पांच साल के साहिल और 6 साल के समर से वादा करके गए थे.... जल्द आयेंगे लेकिन आए तिरंगे में लिपटकर....महेश के पिता राजकुमार यादव मुंबई में ऑटो चालक हैं...एक भाई अमरेश यादव बीमार बाबा इलाज में लगे हैं...।।

वीरो की धरती उतत्तराखंड के भी दो लाल इश हमे में वीरगति को प्राप्त शहीद हुए... उत्तरकाशी के बनकोट मोहन लाल रतूड़ी...शहीद वीरेंद्र सिंह.....विरेन्द्र सिंह उधम सिंह नगर खटीमा के रहने वाले थे...वीरेंद्र सिंह सीआरपीएफ की 45 बटालियन जम्मू कश्मीर में तैनात थे..वापिस आने का वादा कर गए लेकिन देश की हिफाजत की चिंता थी...इसलिए तिरंगा नसीब हुआ...।।

यूपी का इटावा भी अपने बेटे की शहादत पर गमजदा है...रामावकील CRPF की 176 बटालियन मे तैनात थे...7 फरवरी को घर से ड्यूटी के लिए रनावा हुए थे...लेकिन उसके बाद उनकी जिन्दगी की छुट्टी की ही खबर आई....रामवकील अपने बच्चों को भी देश सेवा में भेजने का जज़्बा रखते थे....लेकिन देश पर खुद कुर्बान हो गए...कुर्बानी की खबर सुनने के बाद माता पिता भाई बहन सभी सदमे में है...।।

शहीद रामवकील के बच्चे घर में लगी भीड़ को देखकर हैरान हैं..ऐसी भीड़ तो तब लगती थी...जब पापा आते थे..इन्हे मालूम नहीं इस बार उनकी लाश आ रही है..जाहिर है पुलवामा  में आतंकियों ने जो जख्म दिए हैं..वो इतने गहरे हैं भरने नामोकिन है...पर हमारे जवानों ने जो कर दिखाया है...उसे पूरा देश सलाम कर रहा है..

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