दूसरे चरण की वोटिंग के बाद अब चुनावी रथ तीसरे चरण
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18 अप्रैल को दूसरे चरण की वोटिंग के बाद अब चुनावी रथ तीसरे चरण के चुनाव के लिए कूच कर रहा है मगर दूसरे चरण की ये वोटिंग चुनावी इतिहास के यादगार प्रचार के शोर की गवाह भी बनीं , जहां नेताओं की बदजुबानी से लेकर अली बजरंगबील, बजरंग अली और मंच से गाली देने वाले नेताओं की बदतमीजी के साथ साथ चुनाव आयोग के चले चाबूक तक लिए हमेशा हमेशा के लिए यादगार बन गई ।
( 13 April वाले शांट्स लगेंगे । )
एक ने अली बोला दूसरे बजरंग अली बोला , एक संत के लेबाज में वोट न दो तो भगवा पहने नेता जी ने अपने प्रकोप का हवाला देकर श्राप तक देने की बात कही । तो किसी ने खुलाम खुला मुस्लमानों को धमकी भरे लहजे में समझाने कि कोशिश की उन्हें चुनाव में वोट क्यों दे , वैसे भी बहन जी यानि बसपा सुप्रीमो मायावती तो पहले ही कहे चुकी है कि मुसलमान भटकना मत जिसको लेकर चुनाव आयोग सभी नेताओं को नाप जुबान पर ताला तक लगा दिया ।
बाईट मायावती मुसलमानों वाली और मेनका गांधी
वीओं 2...अली के मुकाबले बजरंग अली की यूपी के रामपुर वाले आजमखान नई खोज कर डाली और जब इससे भी दिल नहीं भरा तो अपने विरोधी प्रत्याशी जया प्रदा के खिलाफ ऐसी गंदी भाषा का इस्तेमाल किया कि शर्म भी शर्म से शर्मसार हो गई ।
बाईट आजम खान ( जया प्रदा वाला बयान )
वीओं 3... पहले चरण के चुनाव बाद से दूसरे चरण के चुनाव प्रचार के दौरान नेताओं की जुबान आउट आफ कंट्रोल हो गई थी मानों जुबानी जंग की जबरदस्त रेस चल रही है और इस रेस में जनाब असम की ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट यानि एआईयूडीएफ के अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल भी कूदे । जनाब ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोधी है मगर मोदी का विरोध करते करते भाषा की सीमा ऐसी लंधी की तोहीन से परहेज नहीं तभी तो बोल दिया कि पीएम को देश से बाहर निकालेंगे। और पीएम मोदी चुनाव के बाद कहीं भी जाकर चाय या पकौड़े बेचेंगे
बाईट ..बदरुद्दीन अजमल
वीओं 4.... हर गुजरते दिन के साथ नेताओं की बयान बहादूरी मर्यादाओं की सीमा लंध रही थी । चुनाव आयोग बेबस दिखा तो सुप्रीम कोर्ट तक को फटकार लगानी पड़ी मगर मजहबी तकरीर के बीच जुबानी जंग में यहां कम कोई नहीं है, तो डाल डाल मैं पात पात ये चुनाव है यहां योगी हो या फिर आजाम, मेनका हो या फिर साक्षी महाराज , बदरुद्दीन अजमल हो या फिर मायावती ये फहरित इतनी लंबी हो गई दूसरे चरण के चुनाव प्रचार को एतिहासिक बन गई । खैर अभी लड़ाई लंबी है देखिए आगे आगे होता है क्या ।
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वीओं 1...तो दूसरे चरण के लिए जैसी उम्मीद थी ठीक वैसे ही तस्वीरें देखने को मिली, सुबह से कई शहरों से लोकतंत्र के पूर्व में हिस्सा लेने के लिए आवाम घर से बाहर निकली । मगर पहले चरण के चुनाव की तरह की दूसरे चरण के चुनाव में भी सबकी निगाहे यूपी पर थी क्योंकि यहां कई दिग्गजों की सांख दांव पर जो लगी थी । दूसरे चरण के लिए यूपी में 8 सीटों पर वोटिंग हुई जिसमें कई सेलेब्रिटी चेहरों के साथ साथ कई राजनीतिक दिग्गजों का सियासी भाग्य तय हो गया जिसका फैसला 23 मई को सामने आएगा । दूसरे चरण में यूपी की जिन 8 सीटों पर वोटिंग हुई उसमें नगीना, अमरोहा, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, आगरा और फतेहपुर सीकरी रहा । चलिए अब देखिए कि वो कौन कौन से दिग्गज है जिनका दूसरे चरण के चुनाव में भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद हुआ ।
-----मथुरा में हेमा का होगा जलवा ? ---------
इन हाईप्रोफाइल सीटों में सबसे पहले बात करते है मथुरा की । मथुरा की सीट पर मुकाबला दिलचस्प इसलिए हुआ क्योंकि मथुरा से बीजेपी ने एक बार फिर से हेमा मालिनी को ही अपना चेहरा बना उनके हाथ में कमल थामाया ऐसे में इस बार भी क्या हेमा का जलवा बरकरार होगा वैसे मेडम में जीत के लिए काफी पसीना बहाया है खेतों में गेंहू काटा और टरेक्टर तक चलाया । मथुरा में मौजूदा सांसद हेमा मालिनी का मुकाबला महागठबंधन के प्रत्याशी RLD के नरेन्द्र सिंह और कांग्रेस के महेश पाठक से है।
फतेहपुर सीकरी में राज बब्बर की दहाड़
फतेहपुर सीकरी से कांग्रेस उम्मीदवार राज बब्बर की किस्मत का फैसला भी EVM में कैद हो गया । राज बब्बर यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष भी है ऐसे में उनकी सीट पर सबकी नजरें टिकी है । वैसे भी महागठबंधन के गुड्डू पंडित के बिगड़े बोल चुनाव से पहले ही इस सीट पर रोमांचक मुकाबले की गारंटी दे चुके थे । बब्बर साल 2009 में इसी सीट से बहुत ही कम अंतर से चुनाव हार गये थे। जबकि बीजेपी के राजकुमार चाहर दोनों से लोहा ले रहे है
--------------आगरा में किसका ताज ? -------
आगरा से योग सरकार के कैबिनेट मंत्री एस.पी. सिंह बघेल चुनावी मैदान में है बघेल वैसे तो घाट घाट का पानी पी चुके है हर पार्टी का झंडा थाम चुके है मगर इस बार बीजेपी ने भरोसा जता कर उन्हें आगरा से मौका दिया है।
-------------अलीगढ़ में किसका राज ? ------------
अलीगढ़ सीट से भाजपा के मौजूदा सांसद सतीश गौतम एक बार फिर इसी पार्टी के टिकट पर मैदान में हैं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को निशाने पर रखकर अक्सर सुर्खियां बटोरने वाले गौतम का मुकाबला गठबंधन के प्रत्याशी अजीत बालियान और कांग्रेस उम्मीदवार पूर्व सांसद बृजेन्द्र सिंह से है।
-----------------बुलंदशहर में कौन होगा बुलंद ? ------------
दूसरे चरण के चुनाव में बुलंदशहर सीट पर वोटिंग हुई है इस सीट से बीजेपी के मौजूदा सांसद और प्रत्याशी डॉक्टर भोला सिंह का मुकाबला गठबंधन प्रत्याशी बीएसपी के योगेश वर्मा और कांग्रेस के बंसी पहाड़िया से है। वहीं, अमरोहा में बीजेपी के मौजूदा सांसद कंवर सिंह तंवर की टक्कर गठबंधन प्रत्याशी बीएसपी के दानिश अली और कांग्रेस के उम्मीदवार सचिन चौधरी से है।
-------------नगीना होगा किसके नाम ? --------
नगीना सीट से बीजेपी के मौजूदा सांसद डॉक्टर यशवंत सिंह एक बार फिर मैदान में हैं। उनका मुकाबला पूर्व सांसद और तीन बार विधायक रह चुकी ओमवती से है। इसके अलावा गठबंधन की तरफ से बीएसपी के गिरीश चंद्र भी रण में ताल ठोक रहे है ।
यानि साफ है पहले चरण की तरह की दूसरे चरण की वोटिंग में यूपी का युद्ध दिलचस्प लग रहा है । अब तमाम दिग्गजों की किस्मत ईवीएम को कैद हो गई है अब बारी तीसरे चरण की वोटिंग है ।
ब्यूरो रिपोर्ट टीवी 24
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लोकसभा चुनाव 2019 में कई चेहरे ऐसे रहे...जिनकी गिनती लगातार वीआईपी चेहरों में गिनी जाता रही...उसमें यूपी से हेमामालिनी हो या राजब्बर, या जम्मू कश्मीर के फारुख अब्दुल्ला...।।
===========फारूक अब्दुल्ला =========
जम्मू-कश्मीर की सियासत में कई दशकों से अब्दुल्ला परिवार का अच्छा खासा दखल रहा...शेख अब्दुल्ला के बेटे फारूक अब्दुल्ला नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष हैं....फारूक अब्दुल्ला की राजनीति में कितनी अहमियत है... इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे तीन बार जम्मू कश्मीर की रियासत के सीएम रहे...बेबाक राय के लिए जाने जाने वाले फारूक अब्दुल्ला खुलकर पत्थरबाजी करने वाले लड़कों की हिमायत करते रहे हैं....फारूक अब्दुल्ला एक बार फिर श्रीनगर सीट से चुनावी मैदान में है इस बार उनका मुकाबला बीजेपी के खालीद जहांगीर और पीडीपी के आगा मोहसिन से है...पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के तारिक हमीद कर्रा ने फारूक अब्दुल्ला को हराया था
वीओ-2
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के तारिक हमीद कर्रा ने नेशनल कॉन्फ्रेंस को 42,280 वोटों से हराया था....नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ... 1982-1984,पहली बार 1986-1990 दूसरी बार और 1996-2002 तीसरी बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे...फारूक अब्दुल्ला दो बार 2002 और 2009 में राज्य सभा सांसद रहे...लेकिन 2009 में राज्य सभा सांसद बनने के कुछ दिन बाद ही उन्होंने इस्तीफा देकर लोकसभा का चुनाव में जीत दर्ज की...।।
वीओ-3
मनमोहन सिंह सरकार में फारूख अब्दुल्ला केंद्रीय मंत्री बने...1980 में राजनीति में कदम रखने के बाद फारूक अब्दुल्ला पहली बार श्रीनगर से निर्विरोध सांसद चुने गए और फिर 1982 में पिता शेख मुहम्मद अब्दुल्ला के मौत के बाद वो पहली बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बने और उसके बाद उन्होंने जम्मू-कश्मीर में एक नई राजनीति को जन्म दिया...नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 और अनुच्छेद 35ए को चुनावी मुद्दा बनाया है....11 अप्रैल को 20 राज्यों के 91 सीटों पर हुए पहले चरण के मतदान में कुल 69.43 फिसदी वोट पड़े..और इस बार जब फारुख अब्दुला की बारी है तो मामला और भी दिलचस्प होता दिख रहा जिसका फैसला 23 मई को होगा...।।
प्रमोद शर्मा...
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हेमा मालिनी, मथुरा
वीओ-1
फिल्मी परदे से 2004 में सियासत में एंट्री करने वाली हेमा मालिनी दूसरी बार संसद में दाखिले में मथुरा से किस्मत आजमा रही हैं...2014 में हेमा मथुरा से जीती थीं...लेकिन अबकी बार जीत की राह थोड़ी कठिन है....हालांकि, हेमा मालिनी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं...।।
राजब्बर, फतेहपुर सीकरी
वहीं साल 1977 में जब पूरा देश आपातकाल से गुजर रहा था...उसी वक्त उत्तर प्रदेश की गलियों में पले-बढ़े राज बब्बर को बॉलीवुड ने बड़े पर्दे पर आने का अवसर दिया....ये महज इत्तेफाक है कि, किस्सा कुर्सी का फिल्म से अपने फिल्मी करियर का आगाज करने वाले राज बब्बर सबसे बड़े राज्य यूपी में देश की सबसे पुरानी पार्टी की बड़ी कुर्सी पर विराजमान हैं...
जयप्रकाश नारायण यादव, बांका
बिहार की बांका लोकसभा सीट से आरजेडी के प्रत्याशी जयप्रकाश नारायण यादव के राजनीतिक जीवन का आगाज उसी दौर में हुआ था.. जब बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव उभर रहे थे...आज जिस आरजेडी की कमान लालू प्रसाद यादव के हाथों में है...जय प्रकाश नारायण यादव उसमें बड़ा वजूद रखते हैं...उनके कद का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि,....वो मोदी लहर में जीतने वाले चुनिंदा सांसदों में शुमार हैं...हालांकि, उनके इस सफर की शुरुआत करीब चार दशक पहले ही हो गई थी...
तारिक अनवर, कटिहार
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रहे सीताराम केसरी को राजनीतिक आदर्श मानकर सियासी सफर शुरू करने वाले बिहार के मशहूर नेता तारिक अनवर एक बार फिर कटिहार में अपने राजनीतिक गुरु की विरासत संभालने के लिए तैयार हैं...दिलचस्प बात ये है कि तारिक अनवर ने घर वापसी करते हुए कांग्रेस के टिकट पर बाजी लड़ने का फैसला किया है... कटिहार सीट से कुल 5 बार सांसद बन चुके तारिक अनवर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का साथ छोड़कर कांग्रेस के साथ चुनावी मैदान में उतर गए हैं...हालांकि, कांग्रेस से उनका नाता सबसे पुराना है
प्रमोद शर्मा टीवी-24
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असम के सिलचर सुष्मिता देव
असम के सिलचर से सांसद सुष्मिता देव राजनैतिक परिवार से आती हैं. उनके दादा सतिन्द्र मोहन देव ने आजादी के आंदोलन में हिस्सा लिया था. बाद में वह असम के स्वास्थ्य मंत्री बने...लंबे समय तक वह सिलचर म्यूनिसिपैलिटी बोर्ड के चेयरमैन रहे थे. सुष्मिता देव कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे संतोष मोहनदेव की बेटी हैं जो सिलचर से 6 बार सांसद रहे और भारत सरकार में इस्पात मंत्री का पद संभाला..।।
मुथुवेल करुणानिधि कनिमोझी
मुथुवेल करुणानिधि कनिमोझी फिलहाल तमिलनाडु से राज्यसभा सांसद हैं....वह तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि की बेटी हैं....वह DMK से जुड़ी हैं...और पार्टी की कला, साहित्य और तर्कवाद शाखा की प्रमुख हैं...इस तरह उन्होंने अपने पिता के ‘साहित्यिक विरासत’ को संभाला है... उनके भाई एम. के अलागिरी पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे और एम. के. स्टालिन तमिलनाडु के पूर्व डिप्टी सीएम रहे... उनके पिता एम करुणानिधि की 7 अगस्त, 2018 को मौत हो गई...।।
तमिलनाडु शिवगंगा सीट कार्ति चिदंबरम
लोकसभा चुनाव 2019 में दक्षिण के तमिलनाडु की शिवगंगा सीट इस बार कई मायनों में खास है....कांग्रेस के अंदरखाने विरोध के बावजूद इस सीट पर कार्ति चिदंबरम को उम्मीदवार बनाया गया है...2014 की हार को भुलाकर एक बार फिर कार्ति चिदंबरम चुनाव मैदान में हैं...इस सीट से कार्ति चिदंबरम के पिता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम 7 बार सांसद रह चुके हैं...हालांकि, पिछले लोकसभा चुनाव में वह पिता की जीत का सिलसिला दोहरा नहीं पाए और इस सीट पर वह चुनाव हार गए...।।
डॉ. जितेंद्र सिंह उधमपुर लोकसभा
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह जम्मू-कश्मीर की उधमपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं....2014 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता गुलाम नबी आजाद को करीब 60 हजार वोटों से मात दी थी...इस बार डॉ. जितेंद्र सिंह के सामने चुनौती पिछली बार से भी ज्यादा है. इस बार उनके सामने कांग्रेस प्रत्याशी विक्रमादित्य हैं...खास बात ये है कि विक्रमादित्य को नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी का भी समर्थन है...।।
कर्नाटक एच. डी. देवगौड़ा
कर्नाटक में इस बार लोकसभा चुनाव में तुमकुर सीट सुर्खियों में बनी हुई है. इसकी बड़ी वजह पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवगौड़ा का तुमकुर से चुनाव मैदान में उतरना है. इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार जीएस बसवाराज अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी, अंबेडकर समाज पार्टी के अलावा निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में हैं...।।
महाराष्ट्र की बीड प्रीतम मुंडे बीजेपी
महाराष्ट्र की बीड सीट से एक बार प्रीतम मुंडे बीजेपी के टिकट पर मैदान में हैं. प्रीतम मुंडे, गोपीनाथ मुंडे की बेटी हैं...गोपीनाथ मुंडे के निधन के बाद 2014 में प्रीतम ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की और पिता की सीट बीड से लोकसभा उपचुनाव लड़ीं...इस चुनाव में प्रीतम ने रिकॉर्ड बनाया और करीब 7 लाख वोटों से जीतीं..।।
18 अप्रैल को दूसरे चरण की वोटिंग के बाद अब चुनावी रथ तीसरे चरण के चुनाव के लिए कूच कर रहा है मगर दूसरे चरण की ये वोटिंग चुनावी इतिहास के यादगार प्रचार के शोर की गवाह भी बनीं , जहां नेताओं की बदजुबानी से लेकर अली बजरंगबील, बजरंग अली और मंच से गाली देने वाले नेताओं की बदतमीजी के साथ साथ चुनाव आयोग के चले चाबूक तक लिए हमेशा हमेशा के लिए यादगार बन गई ।
( 13 April वाले शांट्स लगेंगे । )
एक ने अली बोला दूसरे बजरंग अली बोला , एक संत के लेबाज में वोट न दो तो भगवा पहने नेता जी ने अपने प्रकोप का हवाला देकर श्राप तक देने की बात कही । तो किसी ने खुलाम खुला मुस्लमानों को धमकी भरे लहजे में समझाने कि कोशिश की उन्हें चुनाव में वोट क्यों दे , वैसे भी बहन जी यानि बसपा सुप्रीमो मायावती तो पहले ही कहे चुकी है कि मुसलमान भटकना मत जिसको लेकर चुनाव आयोग सभी नेताओं को नाप जुबान पर ताला तक लगा दिया ।
बाईट मायावती मुसलमानों वाली और मेनका गांधी
वीओं 2...अली के मुकाबले बजरंग अली की यूपी के रामपुर वाले आजमखान नई खोज कर डाली और जब इससे भी दिल नहीं भरा तो अपने विरोधी प्रत्याशी जया प्रदा के खिलाफ ऐसी गंदी भाषा का इस्तेमाल किया कि शर्म भी शर्म से शर्मसार हो गई ।
बाईट आजम खान ( जया प्रदा वाला बयान )
वीओं 3... पहले चरण के चुनाव बाद से दूसरे चरण के चुनाव प्रचार के दौरान नेताओं की जुबान आउट आफ कंट्रोल हो गई थी मानों जुबानी जंग की जबरदस्त रेस चल रही है और इस रेस में जनाब असम की ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट यानि एआईयूडीएफ के अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल भी कूदे । जनाब ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरोधी है मगर मोदी का विरोध करते करते भाषा की सीमा ऐसी लंधी की तोहीन से परहेज नहीं तभी तो बोल दिया कि पीएम को देश से बाहर निकालेंगे। और पीएम मोदी चुनाव के बाद कहीं भी जाकर चाय या पकौड़े बेचेंगे
बाईट ..बदरुद्दीन अजमल
वीओं 4.... हर गुजरते दिन के साथ नेताओं की बयान बहादूरी मर्यादाओं की सीमा लंध रही थी । चुनाव आयोग बेबस दिखा तो सुप्रीम कोर्ट तक को फटकार लगानी पड़ी मगर मजहबी तकरीर के बीच जुबानी जंग में यहां कम कोई नहीं है, तो डाल डाल मैं पात पात ये चुनाव है यहां योगी हो या फिर आजाम, मेनका हो या फिर साक्षी महाराज , बदरुद्दीन अजमल हो या फिर मायावती ये फहरित इतनी लंबी हो गई दूसरे चरण के चुनाव प्रचार को एतिहासिक बन गई । खैर अभी लड़ाई लंबी है देखिए आगे आगे होता है क्या ।
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वीओं 1...तो दूसरे चरण के लिए जैसी उम्मीद थी ठीक वैसे ही तस्वीरें देखने को मिली, सुबह से कई शहरों से लोकतंत्र के पूर्व में हिस्सा लेने के लिए आवाम घर से बाहर निकली । मगर पहले चरण के चुनाव की तरह की दूसरे चरण के चुनाव में भी सबकी निगाहे यूपी पर थी क्योंकि यहां कई दिग्गजों की सांख दांव पर जो लगी थी । दूसरे चरण के लिए यूपी में 8 सीटों पर वोटिंग हुई जिसमें कई सेलेब्रिटी चेहरों के साथ साथ कई राजनीतिक दिग्गजों का सियासी भाग्य तय हो गया जिसका फैसला 23 मई को सामने आएगा । दूसरे चरण में यूपी की जिन 8 सीटों पर वोटिंग हुई उसमें नगीना, अमरोहा, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, आगरा और फतेहपुर सीकरी रहा । चलिए अब देखिए कि वो कौन कौन से दिग्गज है जिनका दूसरे चरण के चुनाव में भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद हुआ ।
-----मथुरा में हेमा का होगा जलवा ? ---------
इन हाईप्रोफाइल सीटों में सबसे पहले बात करते है मथुरा की । मथुरा की सीट पर मुकाबला दिलचस्प इसलिए हुआ क्योंकि मथुरा से बीजेपी ने एक बार फिर से हेमा मालिनी को ही अपना चेहरा बना उनके हाथ में कमल थामाया ऐसे में इस बार भी क्या हेमा का जलवा बरकरार होगा वैसे मेडम में जीत के लिए काफी पसीना बहाया है खेतों में गेंहू काटा और टरेक्टर तक चलाया । मथुरा में मौजूदा सांसद हेमा मालिनी का मुकाबला महागठबंधन के प्रत्याशी RLD के नरेन्द्र सिंह और कांग्रेस के महेश पाठक से है।
फतेहपुर सीकरी में राज बब्बर की दहाड़
फतेहपुर सीकरी से कांग्रेस उम्मीदवार राज बब्बर की किस्मत का फैसला भी EVM में कैद हो गया । राज बब्बर यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष भी है ऐसे में उनकी सीट पर सबकी नजरें टिकी है । वैसे भी महागठबंधन के गुड्डू पंडित के बिगड़े बोल चुनाव से पहले ही इस सीट पर रोमांचक मुकाबले की गारंटी दे चुके थे । बब्बर साल 2009 में इसी सीट से बहुत ही कम अंतर से चुनाव हार गये थे। जबकि बीजेपी के राजकुमार चाहर दोनों से लोहा ले रहे है
--------------आगरा में किसका ताज ? -------
आगरा से योग सरकार के कैबिनेट मंत्री एस.पी. सिंह बघेल चुनावी मैदान में है बघेल वैसे तो घाट घाट का पानी पी चुके है हर पार्टी का झंडा थाम चुके है मगर इस बार बीजेपी ने भरोसा जता कर उन्हें आगरा से मौका दिया है।
-------------अलीगढ़ में किसका राज ? ------------
अलीगढ़ सीट से भाजपा के मौजूदा सांसद सतीश गौतम एक बार फिर इसी पार्टी के टिकट पर मैदान में हैं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को निशाने पर रखकर अक्सर सुर्खियां बटोरने वाले गौतम का मुकाबला गठबंधन के प्रत्याशी अजीत बालियान और कांग्रेस उम्मीदवार पूर्व सांसद बृजेन्द्र सिंह से है।
-----------------बुलंदशहर में कौन होगा बुलंद ? ------------
दूसरे चरण के चुनाव में बुलंदशहर सीट पर वोटिंग हुई है इस सीट से बीजेपी के मौजूदा सांसद और प्रत्याशी डॉक्टर भोला सिंह का मुकाबला गठबंधन प्रत्याशी बीएसपी के योगेश वर्मा और कांग्रेस के बंसी पहाड़िया से है। वहीं, अमरोहा में बीजेपी के मौजूदा सांसद कंवर सिंह तंवर की टक्कर गठबंधन प्रत्याशी बीएसपी के दानिश अली और कांग्रेस के उम्मीदवार सचिन चौधरी से है।
-------------नगीना होगा किसके नाम ? --------
नगीना सीट से बीजेपी के मौजूदा सांसद डॉक्टर यशवंत सिंह एक बार फिर मैदान में हैं। उनका मुकाबला पूर्व सांसद और तीन बार विधायक रह चुकी ओमवती से है। इसके अलावा गठबंधन की तरफ से बीएसपी के गिरीश चंद्र भी रण में ताल ठोक रहे है ।
यानि साफ है पहले चरण की तरह की दूसरे चरण की वोटिंग में यूपी का युद्ध दिलचस्प लग रहा है । अब तमाम दिग्गजों की किस्मत ईवीएम को कैद हो गई है अब बारी तीसरे चरण की वोटिंग है ।
ब्यूरो रिपोर्ट टीवी 24
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लोकसभा चुनाव 2019 में कई चेहरे ऐसे रहे...जिनकी गिनती लगातार वीआईपी चेहरों में गिनी जाता रही...उसमें यूपी से हेमामालिनी हो या राजब्बर, या जम्मू कश्मीर के फारुख अब्दुल्ला...।।
===========फारूक अब्दुल्ला =========
जम्मू-कश्मीर की सियासत में कई दशकों से अब्दुल्ला परिवार का अच्छा खासा दखल रहा...शेख अब्दुल्ला के बेटे फारूक अब्दुल्ला नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष हैं....फारूक अब्दुल्ला की राजनीति में कितनी अहमियत है... इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे तीन बार जम्मू कश्मीर की रियासत के सीएम रहे...बेबाक राय के लिए जाने जाने वाले फारूक अब्दुल्ला खुलकर पत्थरबाजी करने वाले लड़कों की हिमायत करते रहे हैं....फारूक अब्दुल्ला एक बार फिर श्रीनगर सीट से चुनावी मैदान में है इस बार उनका मुकाबला बीजेपी के खालीद जहांगीर और पीडीपी के आगा मोहसिन से है...पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी के तारिक हमीद कर्रा ने फारूक अब्दुल्ला को हराया था
वीओ-2
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के तारिक हमीद कर्रा ने नेशनल कॉन्फ्रेंस को 42,280 वोटों से हराया था....नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ... 1982-1984,पहली बार 1986-1990 दूसरी बार और 1996-2002 तीसरी बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे...फारूक अब्दुल्ला दो बार 2002 और 2009 में राज्य सभा सांसद रहे...लेकिन 2009 में राज्य सभा सांसद बनने के कुछ दिन बाद ही उन्होंने इस्तीफा देकर लोकसभा का चुनाव में जीत दर्ज की...।।
वीओ-3
मनमोहन सिंह सरकार में फारूख अब्दुल्ला केंद्रीय मंत्री बने...1980 में राजनीति में कदम रखने के बाद फारूक अब्दुल्ला पहली बार श्रीनगर से निर्विरोध सांसद चुने गए और फिर 1982 में पिता शेख मुहम्मद अब्दुल्ला के मौत के बाद वो पहली बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बने और उसके बाद उन्होंने जम्मू-कश्मीर में एक नई राजनीति को जन्म दिया...नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 और अनुच्छेद 35ए को चुनावी मुद्दा बनाया है....11 अप्रैल को 20 राज्यों के 91 सीटों पर हुए पहले चरण के मतदान में कुल 69.43 फिसदी वोट पड़े..और इस बार जब फारुख अब्दुला की बारी है तो मामला और भी दिलचस्प होता दिख रहा जिसका फैसला 23 मई को होगा...।।
प्रमोद शर्मा...
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हेमा मालिनी, मथुरा
वीओ-1
फिल्मी परदे से 2004 में सियासत में एंट्री करने वाली हेमा मालिनी दूसरी बार संसद में दाखिले में मथुरा से किस्मत आजमा रही हैं...2014 में हेमा मथुरा से जीती थीं...लेकिन अबकी बार जीत की राह थोड़ी कठिन है....हालांकि, हेमा मालिनी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं...।।
राजब्बर, फतेहपुर सीकरी
वहीं साल 1977 में जब पूरा देश आपातकाल से गुजर रहा था...उसी वक्त उत्तर प्रदेश की गलियों में पले-बढ़े राज बब्बर को बॉलीवुड ने बड़े पर्दे पर आने का अवसर दिया....ये महज इत्तेफाक है कि, किस्सा कुर्सी का फिल्म से अपने फिल्मी करियर का आगाज करने वाले राज बब्बर सबसे बड़े राज्य यूपी में देश की सबसे पुरानी पार्टी की बड़ी कुर्सी पर विराजमान हैं...
जयप्रकाश नारायण यादव, बांका
बिहार की बांका लोकसभा सीट से आरजेडी के प्रत्याशी जयप्रकाश नारायण यादव के राजनीतिक जीवन का आगाज उसी दौर में हुआ था.. जब बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव उभर रहे थे...आज जिस आरजेडी की कमान लालू प्रसाद यादव के हाथों में है...जय प्रकाश नारायण यादव उसमें बड़ा वजूद रखते हैं...उनके कद का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि,....वो मोदी लहर में जीतने वाले चुनिंदा सांसदों में शुमार हैं...हालांकि, उनके इस सफर की शुरुआत करीब चार दशक पहले ही हो गई थी...
तारिक अनवर, कटिहार
कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रहे सीताराम केसरी को राजनीतिक आदर्श मानकर सियासी सफर शुरू करने वाले बिहार के मशहूर नेता तारिक अनवर एक बार फिर कटिहार में अपने राजनीतिक गुरु की विरासत संभालने के लिए तैयार हैं...दिलचस्प बात ये है कि तारिक अनवर ने घर वापसी करते हुए कांग्रेस के टिकट पर बाजी लड़ने का फैसला किया है... कटिहार सीट से कुल 5 बार सांसद बन चुके तारिक अनवर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का साथ छोड़कर कांग्रेस के साथ चुनावी मैदान में उतर गए हैं...हालांकि, कांग्रेस से उनका नाता सबसे पुराना है
प्रमोद शर्मा टीवी-24
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असम के सिलचर सुष्मिता देव
असम के सिलचर से सांसद सुष्मिता देव राजनैतिक परिवार से आती हैं. उनके दादा सतिन्द्र मोहन देव ने आजादी के आंदोलन में हिस्सा लिया था. बाद में वह असम के स्वास्थ्य मंत्री बने...लंबे समय तक वह सिलचर म्यूनिसिपैलिटी बोर्ड के चेयरमैन रहे थे. सुष्मिता देव कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे संतोष मोहनदेव की बेटी हैं जो सिलचर से 6 बार सांसद रहे और भारत सरकार में इस्पात मंत्री का पद संभाला..।।
मुथुवेल करुणानिधि कनिमोझी
मुथुवेल करुणानिधि कनिमोझी फिलहाल तमिलनाडु से राज्यसभा सांसद हैं....वह तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री करुणानिधि की बेटी हैं....वह DMK से जुड़ी हैं...और पार्टी की कला, साहित्य और तर्कवाद शाखा की प्रमुख हैं...इस तरह उन्होंने अपने पिता के ‘साहित्यिक विरासत’ को संभाला है... उनके भाई एम. के अलागिरी पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे और एम. के. स्टालिन तमिलनाडु के पूर्व डिप्टी सीएम रहे... उनके पिता एम करुणानिधि की 7 अगस्त, 2018 को मौत हो गई...।।
तमिलनाडु शिवगंगा सीट कार्ति चिदंबरम
लोकसभा चुनाव 2019 में दक्षिण के तमिलनाडु की शिवगंगा सीट इस बार कई मायनों में खास है....कांग्रेस के अंदरखाने विरोध के बावजूद इस सीट पर कार्ति चिदंबरम को उम्मीदवार बनाया गया है...2014 की हार को भुलाकर एक बार फिर कार्ति चिदंबरम चुनाव मैदान में हैं...इस सीट से कार्ति चिदंबरम के पिता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम 7 बार सांसद रह चुके हैं...हालांकि, पिछले लोकसभा चुनाव में वह पिता की जीत का सिलसिला दोहरा नहीं पाए और इस सीट पर वह चुनाव हार गए...।।
डॉ. जितेंद्र सिंह उधमपुर लोकसभा
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह जम्मू-कश्मीर की उधमपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं....2014 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता गुलाम नबी आजाद को करीब 60 हजार वोटों से मात दी थी...इस बार डॉ. जितेंद्र सिंह के सामने चुनौती पिछली बार से भी ज्यादा है. इस बार उनके सामने कांग्रेस प्रत्याशी विक्रमादित्य हैं...खास बात ये है कि विक्रमादित्य को नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी का भी समर्थन है...।।
कर्नाटक एच. डी. देवगौड़ा
कर्नाटक में इस बार लोकसभा चुनाव में तुमकुर सीट सुर्खियों में बनी हुई है. इसकी बड़ी वजह पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवगौड़ा का तुमकुर से चुनाव मैदान में उतरना है. इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार जीएस बसवाराज अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी, अंबेडकर समाज पार्टी के अलावा निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में हैं...।।
महाराष्ट्र की बीड प्रीतम मुंडे बीजेपी
महाराष्ट्र की बीड सीट से एक बार प्रीतम मुंडे बीजेपी के टिकट पर मैदान में हैं. प्रीतम मुंडे, गोपीनाथ मुंडे की बेटी हैं...गोपीनाथ मुंडे के निधन के बाद 2014 में प्रीतम ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की और पिता की सीट बीड से लोकसभा उपचुनाव लड़ीं...इस चुनाव में प्रीतम ने रिकॉर्ड बनाया और करीब 7 लाख वोटों से जीतीं..।।
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