निषाद का प्रभाव
तो इसे कहते है जोर का झटका धीरे से लगना। गजब की सियासत है, कल तक साथ जीने मारने की कसमें खाने वाले आज एक दूसरे को कहने लगे कि हम आपके हैं कौन । निषाद पार्टी ने आखिरकार बीजेपी से सियासी रिश्ता जोड़ ही लिया और कहे दिया कि हम साथ साथ हैं।
बाईट ... निषाद
...वीओं 2...समाजवादी पार्टी की साइकिल की सवारी पंसद नहीं आई तो निषाद पार्टी ने नया दर तलाश ही लिया। जिस रण में योगी के दांत खट्टे किए उसी गोरखपुर के रण में निषाद पार्टी ने योगी के आगे नत्मस्तक कर ही दिया यानि गोरखपुर का गढ़ बचाने की योगी रणनीति का बड़ा प्लान कामयाब हुआ ।
बाईट ....बीजेपी नेता की
पहले खबरें थी कि निषाद पार्टी का बीजेपी में विलय होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ निषाद पार्टी एनडीए गठबंधन में सहयोगी बनी है । जबकि निषाद पार्टी के संस्थापक संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद ने बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता हासिल की। यानि प्रवीण निषाद बीजेपी की टिकट से गोरखपुर सीट से लोकसभा चुनाव में उतारने जा रहे है । मलतब योगी के दुर्ग को डाने वाले निषाद अब उन्हें के गढ़ को बचाने के लिए रण में है
----निषाद का प्रभाव -----
निषाद पार्टी से गठबंधन होने से पूर्वांचल में बीजेपी और मजबूत होगी। लोकसभा उपचुनाव में गोरखपुर जैसी अभेद्य सीट पर बीजपी के उपेंद्र शुक्ला को 26000 वोटों से हराकर एक बड़ा उलटफेर किया था। गोरखपुर संसदीय सीट के लिए निषाद पार्टी इसलिए भी अहम है क्योंकि गोरखपुर में निषाद करीब 3.5 लाख है जो किसी भी पार्टी की हार जीत का फैसला करने में अहम है. उप्र में करीब 15 फीसदी निषाद।ऐसे में साख का सवाल बनीं गोरखपुर को देख कहा जा सकता है की बीजेपी के लिए ये किसी बड़ी खुशखबरी से कम नहीं है। साल भर पहले जिसके खिलाफ तलवारें मयान से निकाली, आज उन्हीं के लिए तलवारें सपा बसपा के खिलाफ निकालने की तैयारी है मतलब योगी के गढ़ को ध्वस्त करने वाले प्रवीण निषाद इस बार योगी की पार्टी के बैनर तले कमल खिलाने की कसमें खा रहे है खैर ये सब सत्ता की माया है क्योंकि बीजेपी निषाद को साथ लाकर इस फैसले से अपने नाराज सहयोगी ओ पी राजभर को भी गठबंधन में हैसियत की शायद याद दिला रही है । ब्यूरो रिपोर्ट
बाईट ... निषाद
...वीओं 2...समाजवादी पार्टी की साइकिल की सवारी पंसद नहीं आई तो निषाद पार्टी ने नया दर तलाश ही लिया। जिस रण में योगी के दांत खट्टे किए उसी गोरखपुर के रण में निषाद पार्टी ने योगी के आगे नत्मस्तक कर ही दिया यानि गोरखपुर का गढ़ बचाने की योगी रणनीति का बड़ा प्लान कामयाब हुआ ।
बाईट ....बीजेपी नेता की
पहले खबरें थी कि निषाद पार्टी का बीजेपी में विलय होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ निषाद पार्टी एनडीए गठबंधन में सहयोगी बनी है । जबकि निषाद पार्टी के संस्थापक संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद ने बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता हासिल की। यानि प्रवीण निषाद बीजेपी की टिकट से गोरखपुर सीट से लोकसभा चुनाव में उतारने जा रहे है । मलतब योगी के दुर्ग को डाने वाले निषाद अब उन्हें के गढ़ को बचाने के लिए रण में है
----निषाद का प्रभाव -----
निषाद पार्टी से गठबंधन होने से पूर्वांचल में बीजेपी और मजबूत होगी। लोकसभा उपचुनाव में गोरखपुर जैसी अभेद्य सीट पर बीजपी के उपेंद्र शुक्ला को 26000 वोटों से हराकर एक बड़ा उलटफेर किया था। गोरखपुर संसदीय सीट के लिए निषाद पार्टी इसलिए भी अहम है क्योंकि गोरखपुर में निषाद करीब 3.5 लाख है जो किसी भी पार्टी की हार जीत का फैसला करने में अहम है. उप्र में करीब 15 फीसदी निषाद।ऐसे में साख का सवाल बनीं गोरखपुर को देख कहा जा सकता है की बीजेपी के लिए ये किसी बड़ी खुशखबरी से कम नहीं है। साल भर पहले जिसके खिलाफ तलवारें मयान से निकाली, आज उन्हीं के लिए तलवारें सपा बसपा के खिलाफ निकालने की तैयारी है मतलब योगी के गढ़ को ध्वस्त करने वाले प्रवीण निषाद इस बार योगी की पार्टी के बैनर तले कमल खिलाने की कसमें खा रहे है खैर ये सब सत्ता की माया है क्योंकि बीजेपी निषाद को साथ लाकर इस फैसले से अपने नाराज सहयोगी ओ पी राजभर को भी गठबंधन में हैसियत की शायद याद दिला रही है । ब्यूरो रिपोर्ट
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें