भारत को मिली G-20 देशों की अध्यक्षता लेकिन ये राह इतनी आसान नहीं थी

भारत ने ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ा, जब दुनियाभर में अपनी धाक न जमाई हो.और अधिकारिक तौर पर जी-20 देशों की अध्यक्षता मिलने के बाद तो, ये भी साफ हो गया कि, भारत की धरती पर होने वाला ये सम्मेलन दुनियाभर में अमन और शांति के संदेश की मिसाल पेश करेगा। जैसे ही हिंदुस्तान की जनता को इस बात का पता चला कि, भारत को जी-20 देशों की अध्यक्षता मिल गई, तो किसी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.देश की कई एतिहासिक इमारतों को दूधिया रोशनी से जगमगा दिया गया.और देखते ही देखते देशभर में जश्न का माहौल तैयार हो गया.जिससे साफ हो गया कि दुनियाभर में भारत की बात सुनी ही नहीं जाती बल्कि, उसपर अमल भी किया जाता है.
जब पीएम मोदी के संयुक्त घोषणापत्र से शांति का संदेश दिया इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युक्रेन युद्ध को लेकर जब G-20 नेताओं को संयुक्त घोषणापत्र से शांति का संदेश दिया. तो जी-20 नेताओं ने उसे एकदम स्वीकर कर लिया.इस सम्मेलन के संयुक्त घोषणा पत्र मे पीएम मोदी ने शांति संदेश को देश का आधार बनाकर कहा था कि, आज का युग युद्ध का नहीं होना चाहिये. ये ऐसा मौका था जब बाली द्वीप पर इस सम्मेलन में दुनियाभर के प्रभावी नेता एक साथ जुटे थे.यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने देश का प्रतिनिधित्व मौजूदा हालातों में इस तरह से किया कि , 19 देशों और यूरोपियन यूनियन का ये मंच राजनीतिक मतभेदों पर संघर्ष से बच गया.भू-राजनीनितिक तनाव से जूझ रही दुनिया में भारत की क्षमताओं का प्रदर्शन करने के लिये पीएम मोदी ने बाली में किसी भी तरह की कोर कसर नहीं छोड़ी, यानि साफ तौर पर कहा जा सकता कि, दो दिन के इस सम्मेलन में हिंदुस्तान के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बड़ी सौगात तो लेकर आये ही, साथ में G-20 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश सकल्प भी बन गया.
ये राह नहीं थी इतनी आसान हालांकि बाली में आयोजित इस G-20 सम्मेलन की राह इतनी आसान भी नहीं थी.क्योंकि इसी मंच पर रूस और यूक्रेन जंग पर सदस्य देश दो हिस्सों में बंटे थे.वहीं दूसरा जलवायु परिवर्तन और कोरोना महामारी से निपटने की जवाबदेही किसी मुसीबत से कम नहीं थी.उसी के साथ 17 नवंबर को नाटों के सदस्य देश पोलैंड में मिसाइल गिरने का मामला और संजीदा हो चला था.
इस मंच पर सबसे बड़ा मुद्दा था अमेरिका और रुस के बीच संतुलन साधना.इतना ही नहीं यहां ये भी जरूरी था कि, रुस युक्रेन युद्ध से तनातनी के रिश्ते में बीच का रास्ता आखिर कैसे निकाला जाये.लेकिन पीएम मोदी ने ये सब करके दिखा दिया.क्योंकि ये समाधान और सहमति इस मुद्दे पर जरूरी थी. जी-20 में रुस के लिये प्रधानमंत्री का ये संदेश सबसे अहम माना गया. इस दौरान पीएम मोदी ने मंच पर कोई नेता ऐसा नहीं छोड़ा जिससे उन्होंने मुलाकात न की हो.चीन के राष्ट्रपति से लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मुलाकात हुई, इसके बाद शी जिनपिंक से पीएम मोदी ने मुलाकात कर G-20 2023 की अध्यक्षता की प्राथमिकताओं को लेकर दुन्याभर के नेताओं से बात की.इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी का आगाज तो शानदार रहा ही, साथ में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो से G-20 की अध्यक्षता लेने के बाद भारत ने यह भी साफ कर दिया कि, गांधी और बुद्ध की धरती पर होने वाला इस सम्मेलन से दुनिया को अमन और शांति का संदेश जरूर जाएगा.

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