भारत का प्रतीक है वंदे भारत ट्रेन
बदलते विकसित भारत के सपने को वंदे भारत ट्रेन एक नई गति दे रहा है। देखते-देखते स्वदेशी वंदे भारत ट्रेन देश के मानचित्र पर तेजी से फैल रहा है। भारत सरकार की तैयारी आने वाले वर्षों में वंदे भारत ट्रेन के रास्ते विश्व पटल पर छा जाने की है जिस पर रेल मंत्रालय ने काम भी शुरू कर दिया है। विदेशों से पहले भारतीय विकास को गति देने के लिए पिछले 15 दिनों में दो नई वंदे भारत ट्रेन राष्ट्र को समर्पित की गई है। चारों दिशा में दौड़ती यह वंदे भारत ट्रेन नए भारत के संकल्पों और सामर्थ्य का ही नहीं है बल्कि गुलामी की मानसिकता से निकल कर आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते भारत की भी बन रही है।
पीएम मोदी ने 15 जनवरी को देश के आठवें, दक्षिण भारत के दूसरे और इस वर्ष के पहले वंदे भारत ट्रेन की सौगात देश के लोगों को दी। पीएम मोदी ने सिकंदराबाद से विशाखापट्टनम को जोड़ने वाली वंदे भारत 2.0 ट्रेन को हरी झंडी दिखाई जो सिकंदराबाद से विशाखापट्टनम की करीब 700 किलोमीटर की दूरी आठ घंटे में तय करेगी। अभी तक इस दूरी को तय करने में करीब 12 घंटे का समय लगता था। आंध्र प्रदेश में यह ट्रेन विशाखापट्टनम, राजमुंदरी और विजयवाड़ा में रुकेगी जबकि तेलंगाना में यह खम्मम, वारंगल और सिकंदराबाद में रूकेगी। इन जगहों पर ट्रेन के ठहराव से श्रद्धालुओं और पर्यटकों को भी बहुत लाभ होगा। बंदे भारत ट्रेन की एक और विशेषता है, यह ट्रेन, नए भारत के संकल्पों और सामर्थ्य का प्रतीक है। यह उस भारत का प्रतीक है, जो तेज बदलाव के रास्ते पर है। ऐसा भारत, जो अपने सपनों, अपनी आकांक्षाओं को लेकर अधीर है। ऐसा भारत, जो तेजी से चलकर अपने लक्ष्य तक पहुंचना चाहता है।
देश में नई दिल्ली से वाराणसी के बीच पहली वंदे भारत ट्रेन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 फरवरी-2019 को हरी झंडी दिखाई। यह इस श्रृंखला की पहली ट्रैन थी।यह नई दिल्ली से कानपुर, प्रयागराज होते हुए वाराणसी तक 757 किलोमीटर की दूरी आठ घंटे में तय करती है। इसके बाद नई दिल्ली से श्री माता वैष्णो दवी, कटरा रेलवे स्टेशन के बीच तीन अक्टूबर 2019 को वंदे भारत ट्रेन को झंडी दिखाई गई। 655 किलोमीटर की इस दूरी में आठ घंटे का समय लगता है जबकि दूसरी ट्रेन यह दूरी करीब 12 घंटे तय करती है। यह ट्रेन दिल्ली से अंबाला कैंट, लुधियाना और जम्मू तवी होते हुए कटरा पहुंचती है।फिर 30 सितंबर 2022 मुंबई से गांधीनगर के बीच वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई गई। यह तीसरी ट्रैन थी। 519 किलोमीटर की दूरी करीब सवा छह घंटे में तय करती है। देश की पहली सेमी हाईस्पीड ट्रेन ‘वंदे भारत’ इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, वंदे भारत तेज गति से पटरी पर दौड़ रही है। बीते कुछ वर्षों में ही सात वंदे भारत ट्रेन ने कुल मिलाकर 23 लाख किलोमीटर का सफर पूरा किया है। यह दूरी पृथ्वी के 58 चक्कर लगाने के बराबर है। इन ट्रेनों से अब तक 40 लाख से अधिक लोग यात्रा कर चुके हैं।रेलवे की तैयारी अगले तीन वर्षों में 400 वंदे भारत ट्रेन पटरी पर उतारने की है।
चौथी ट्रैन 13 अक्टूबर 2022 को हिमाचल प्रदेश के अंब अंदौरा से नई दिल्ली के बीच वंदे भारत ट्रेन की शुरुआत हुई। 412 किलोमीटर की दूरी सवा पांच घंटे में तय हाेती है। यह ट्रेन दिल्ली के बाद अंबाला, चंडीगढ़, आनंदपुर साहिब और ऊना हिमाचल होते हुए अंब अंदौरा पहुंचती है। फिर 11 नवंबर-2022 काे चेन्नई-मैसूर वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। यह पांचवी ट्रैन थी। यह दक्षिण भारत की पहली वंदे भारत ट्रेन थी। 504 किलोमीटर की दूरी करीब साढ़ेछह घंटे में तय होती है। इस ट्रेन के शुरु होने से औद्योिगक हब चेन्नई, टेक्नोलॉजिकल-सॉफ्टवेयर-स्टार्ट हब बेंगलुरु और पर्यटन स्थल मैसूर आने-जाने वालों की यात्रा सुगम हुई है।छठी ट्रेन के रूप में 11 दिसंबर 2022 को नागपुर रेलवे स्टेशन से बिलासपुर-नागपुर वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई गई। 411 किलोमीटर की दूरी साढ़े पांच घंटे में तय होती है, जबकि इससे पहले इस दूरी को तय करने में सात से आठ घंटे लगते थे। 30 दिसंबर-2022 को हावड़ा से न्यू जलपाईगुड़ी को जोड़ने वाली वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई गई। यह सातवीं ट्रेन थी। 564 किलोमीटर की दूरी तय करने में साढ़े सात घंटे लगते हैं। यह ट्रेन मालदा टाउन, बारसोई और किशनगंज रेलवे स्टेशन पर रूकती है।पिछले आठ वर्षों में तेलंगाना में रेलवे के काम 2014 से पहले 8 वर्षों में तेलंगाना में रेलवे के लिए 250 करोड़ रुपये से भी कम का बजट था जो अब बढ़कर 3 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। 2014 के पहले आठ वर्षों में तेलंगाना में 125 किलोमीटर से भी कम रेलवे लाइन बनी थी जबकि पिछले 8 वर्षों में करीब 325 किलोमीटर रेलवे लाइन का काम पूरा किया है।
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