हिंदुत्व ही बीजेपी का प्राण है और वोट का आधार भी
आगामी लोकसभा चुनाव में कौन किसको पछाड़ेगा और किसकी जीत होगी इसका आकलन कोई नहीं कर सकता। खुद बीजेपी भी नहीं और कांग्रेस समेत कोई विपक्षी पार्टियां भी नहीं। लेकिन सवाल है कि अगले चुनाव का मुद्दा क्या होगा ? किस मुद्दे पर सत्ता पक्ष जनता के पास जाएगा और किस मुद्दे को विपक्ष चुनावी मैदान में उतरेगा ? यही सबसे बड़ा सवाल है। कहने को तो विपक्ष के पास ढेर सारे मुद्दे हो सकते हैं जैसे लोकतंत्र की बर्बादी ,सरकारी संस्थाओं के दुरूपयोग ,अडानी प्रक्ररण ,चीन का सीमा विवाद ,अल्पसंख्यकों पर लगातार हमले और अर्थव्यवस्था ,बेरोजगारी ,महंगाई के मसले भी। इसके बाद आने वाले समय में और भी कई गंभीर मसले उठेंगे उसको लेकर भी विपक्ष जनता के पास जा सकती है।
लेकिन क्या बीजेपी के पास मुद्दे नहीं होंगे ? कहने को तो उसके पास भी कई मुद्दे हैं और विकास के कार्य भी। ऐसा नहीं है कि बीजेपी सरकार ने पिछले 9 साल में कुछ नहीं किया है। गांव -से लेकर शहरो तक मोदी सरकार ने कई योजनाए चलाई है और इसका लाभ लोगो को मिला है। आज भी देश की जनता उस लाभ को उठा रही है। सबसे बड़ी योजना तो 80 करोड़ जनता को पांच किलो अनाज मुफ्त में देने की योजना है। इस योजना से गांव के लोग बम -बम हैं। महिलाओं की उज्वजा योजना पर चाहे जितनी भी राजनीति की जाए लेकिन गांव की महिलाये इससे खुश हुई है। उनके दिन बहुरे हैं। हर घर को पानी और विजली दी गई है। ये कोई मामूली बात नहीं है। लेकिन क्या बीजेपी के पास यही मसला चुनाव में ले जाने के लिए काफी है ? हरगिज नहीं। बीजेपी के पास सबसे बड़ा मुद्दा तो हिंदुत्व का है। वही हिंदुत्व जिसके खिलाफ विपक्ष आवाज उठाती है लेकिन पिछले दो चुनाव से यही हिंदुत्व बीजेपी को सत्ता पर बैठा भी देता है। इस हिंदुत्व में जातियां भी है ,सरोकार भी है ,संस्कृति भी है और आस्था भी। कल्पना कीजिए जब बीजेपी के इस हिंदुत्व में इतनी बाते समाहित है तो फिर इससे बड़ा चुनावी मुद्दा और क्या हो सकता है ?
आज बीजेपी की सरकार जिन राज्यों तक काम कर रही है उसके इतिहास भूगोल को पढ़िए तो कई जानकारी मिलती है। जिन राज्यों में बीजेपी की सरकार बनी है वहाँ बीजेपी की पहुंच को लेकर कई कारक गिनाये जा सकते हैं लेकिन असली कारक हिंदुत्व ही रहे हैं। आसाम में बीजेपी की सरकार है इसके साथ ही पूर्वोत्तर के कई राज्यों में भी उसकी सरकार है। जहां पहले कभी बीजेपी की पहुँच नहीं होती थी नाथ संप्रदाय की वजह से वह आसाम से पूर्वोत्तर तक पहुँच गई। यह हिंदुत्व का ऐसा चमत्कार है जिसे विपक्ष जान भी नहीं रहा है। आसाम में एक इलाका है जिसे म्योंग कहते हैं। म्योंग का मतलब मायालोक कहा जाता है इन इलाके में नाथ सम्प्रदाय को जीने वाले लोगो की भरमार है। यह सम्प्रदाय महादेव को मानते हैं और नाथ पंथ में जीते हैं। कभी नाथ संप्रदाय के गुरु मच्छेंद्र नाथ यहां आये थे। तभी से इस इलाके में नाथ संप्रदाय की बहुतायत हुई और आज सरकार बनाने और बिगड़ने में इस सम्प्रदाय की काफी भूमिका है। बीजेपी का यही हिंदुत्व सबको भ्रमित किये हुए है। ये सभी बीजेपी को ही वोट देते है और पुरे पूर्वोत्तर तक इनकी पहुँच है। जबसे यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी है इन नाथ पंथियों की आस्था बीजेपी के प्रति कुछ ख़ास ही बढ़ी है।
यह बीजेपी के हिंदुत्व का ही कमाल है कि उत्तरभारत के अलावा दक्षिण भारत के नाथपंथी भी बीजेपी के सपोर्ट में खड़े हुए हैं। कर्नाटक में नाथपंथियों की बहुतायत है। लिंगायत वोट पर बीजेपी की पकड़ तो है कि कर्नाटक के नाथपंथियों पर भी बीजेपी की पकड़ बढ़ी है। इसी तरह से मध्य प्रदेश ,राजस्थान और अरुणाचल प्रदेश के नाथ पंथी भी बीजेपी के साथ खड़े हैं। इसके साथ ही देश के भीतर बहुतायत में सपेरे समुदाय के लोग है। कई राज्यों में इनकी बड़ी -बड़ी बस्तियां है। अच्छी आबादी है। इन सपेरों को बीजेपी शिव के सेवक कहकर अपने पाले में किये हुए हैं और लम्बे समय से ये सपेरे बीजेपी को ही वोट देते आ रहे हैं। इन सपेरों से बीजेपी के लोग मिले या नहीं नहीं मिले लेकिन संघ के लोग बराबर मिलते हैं और हिंदुत्व प् पाठ पढ़ाते हैं। उनकी संस्कृति ,उनके समाज और उनकी आस्था की बात करते हैं। यही बीजेपी का असली हिंदुत्व है जो किसी के पास नहीं।
बीजेपी ने हिंदुत्व के नारे के साथ समाज के कई वर्गों ,जातियों और मतों को अपने साथ जोड़ने में सफलता हाशिल की है। यही बीजेपी की असली ताकत है। बीजेपी का हिंदुत्व हिन्दुओं की जातियों ,मतों और आस्था को एक मंच पर लाने की है। यही बीजेपी का हिन्दू ध्रुवीकरण है। हालांकि कई लोग मानते हैं यह साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण है लेकिन ऐसा है नहीं। बीजेपी तो साफ़ तौर पर हिन्दुओ को अपने पाले का खेल करती है और इसमें वह बहुत हद तक सफल भी हुई है। संघ से लेकर उसके सभी आनुषंगिक शाखाएं अभियान के तहत तमाम तरह के भक्ति पंथों ,छोटे -छोटे सम्प्रदायों ,मठो और कथावाचकों और उसके भक्तो को अपने साथ जोड़कर हिंदुत्व को मजबूत करते रहे हैं। चुनावी राजनीति में अबतक बीजेपी के लिए यह संजीवनी है। उसके प्राण है।
बीजेपी का यह हिंदुत्व ही है जिसके तहत देश के सभी धार्मिक अखाड़ों पर उसकी पकड़ है ,सभी प्रवचन मंचो पर उसकी पकड़ है ,सभा मंडलियों पर उसकी पहुँच है। सभी कीर्तन मंडलियों से लेकर रामलीला संघो ,कृष्णलीला संघो पर पहुँच है। बीजेपी ने इन सभी को अपनी राजनीति में जगह दी है। यही बीजेपी का असली हिन्दूतव है और इसके सामने कोई टिक नहीं पा रहा है।
सच तो यही है कि धार्मिक गतिविधियों ,सांस्कृतिक गतिविधियों में हिंदुत्व की राजनीति की बड़ी भूमिका है और बीजेपी की इस पर काफी पकड़ है। आज देश के भीतर तमाम हिन्दुओ और गैर हिन्दुओ में जो पैठ बढ़ी है उसमे धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में बीजेपी की पहुँच बहुत मायने रखती है। फिर इसके सामने कौन टिक सकता है ? विपक्ष की नजर जहाँ नहीं भी है वहाँ बीजेपी का हिंदुत्व पहुंचा हुआ है।
आने वाले समय में अयोध्या राम मंदिर का मसला एक बार फिर से सामने होगा जब मंदिर का उद्घाटन होगा। पुरे देश में बीजेपी इसका अलख जगाएगी। लोग जागेंगे। अयोध्या की तरफ कुछ करेंगे और रामलला का दर्शन भला कौन नहीं करेगा ? जब देश वासियों के लिए कई सुविधाएं देकर अयोध्या पहुँचने का आह्वान किया जाएगा तब विपक्ष फिर कहाँ टिक सकता है। बीजेपी का यही असली हिंदुत्व है जिस पर उसे गुमान भी है और वही उसकी असली राजनितिक पूंजी भी।
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