यूपी में सत्ता 2019 की डगर, सरकार 2019


मिशन 2019 को जीतने के लिए सभी राजनेता एडी-चोटी का जोर लगा रहे हैं जहां बीजेपी विपक्षियों के वोट-बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है,.. वहीं, विपक्षी भी इस मामले में पीछे नहीं है...एक के बाद एक दौरा और एक के बाद एक महारैली का आयोजन किया जा रहा है...यूपी की सत्ता में सियासी घमासान लगातार जारी है...जहां बीजेपी पूरे जोरों शोरों के साथ यूपी में अपना वोटबैंक साधने में लगीं है, वहीं विपक्षी दल भी बीजेपी के विरोध में लगातार यूपी के दौरे कर रहे हैं...जहां बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह यूपी के दौरे पर हैं....वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंगा गाधी भी उत्तर प्रदेश के दौरे पर दौरे कर रही है....लेकिन इन दौरे के बीच यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव भी पीछे नहीं है...अखिलेश यादव भी प्रयागराज में कार्यकर्ताओं का हाल जानने पहुंचे....सबसे पहले अखिलेश यादव बमरौली एयरपोर्ट से सीधे...जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में शहीद हुए महेश कुमार यादव के परिजनों से मुलाकात करने पहुंचे......इस मुलाकात के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव उन छात्रों से मिलें जो कि प्रदर्शन के दौरान घायल हो गए थे....आप के बता दें कि, पिछले दिनों अखिलेश यादव इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में जा रहे थे....लेकिन उन्हें लखनऊ एयरपोर्ट पर ही रोक दिया गया था... जिससे नाराज छात्रों ने प्रदेश भर में प्रदर्शन किया था....प्रदर्शन के दौरान पुलिस से हुई झड़प में कुछ छात्र घायल भी हो गए थे....इस सियासी भागदौड़ के बीच कांग्रेस की महासचिव और पूर्वी यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी और पश्चिमी यूपी प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया यूपी दौरे पर हैं...इस दौरान दोनों यूपी में पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर रहे हैं....कहा तो ये भी जा रहा है कि, जल्द ही कांग्रेस यूपी में अपने उम्मीदवार घोषित करने का मन बना रही है..वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी दिल्ली में छात्रों से मुखातिब हुए....इस दौरान उन्होंने जवाहर लाल नेहरू सभागार में जेएनयू, डीयू समेत कई संस्थानों के छात्र और, शोधार्थियों, बातचीत की...बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी को गोरखपुर और लखनऊ दौरे पर हैं....गोरखपुर में बीजेपी किसान मोर्चा का राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित है... जिसे अमित शाह के अलावा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी साथ हैं...लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी और कांग्रेस उत्तर प्रदेश पर ज्यादा जोर आजमाती दिख रही है...जिसे लेकर यूपी के सियासी समीकरण बदलने के पूरे आसार है...इन सब के बीच गंठबेधन के सियासी समीकरण यूपी एसपी और बीएसपी के बीच गंठबंधन में यूपी, सियासी समीकरण भी बदलने वाले हैं क्योंकि पूरी राजनीतिक पार्टीया एक दूसरे के धुर विरोधी को मात देने की कवायद मे जुट गई है....एसपी और बीएसपी के गठबंधन के बीच अब यह तय हो गया है कि,...इटावा जिले की लोकसभा सीट से एसपी का प्रत्याशी ही चुनावी मैदान में होगा….प्रत्याशी भले ही समाजवादी पार्टी से होगा... लेकिन उसे बीसपी का भी पूरा समर्थन हासिल होगाइटावा लोकसभा की सुरक्षित सीट फिलहाल बीजेपी के कब्जे में हैअब गठबंधन प्रत्याशी से मुकाबला होने पर जातीय सियासी समीकरण बदलने के पूरे आसार हैं2014 के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो बीजेपी प्रत्याशी अशोक दोहरे को जितने वोट मिले हैंउनकी संख्या एसपी और बीसपी को मिले वोटों से कम है...हालांकि इस बार चुनाव में शिवपाल सिंह यादव एसपी से अलग हैं...और जिले में उनकी पकड़ को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता....जीत का सेहरा गठबंधन, प्रसपा और कांग्रेस के सिर बंधेगा या फिर बीजेपी अपनी जीत दोहराएगी.... समूचे राजनीतिक नजरिए से चुनौती सिर्फ बीजेपी के लिए है...पहले अब 2019 के सियासी संग्राम पर नजर दौडाए....इससे पहले 2014 का गणित आपको समाझा देते हैं....2014 लोकसभा चुनाव में पूरे देश में मोदी लहर चली....जिसमें एसपी का गढ़ भी ध्वस्त हो चला था....यूपी में अखिलेश सरकार के खिलाफ लोगों की नाराजगी का भी फायदा बीजेपी को मिला था.... जिले की लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी अशोक दोहरे 4 लाख 39 हजार 646 वोट लेकर जीते थे...दो लाख 66 हजार 700 वोट लेकर एसपी के प्रेमदास कठेरिया दूसरे नंबर पर और एक लाख 92 हजार 804 वोट के साथ बसपा के अजय पाल सिंह तीसरे स्थान पर आए थे....जाहिर है कि बीजेपी करीब पौने दो लाख वोटों के भारी भरकम अंतर जीती थी...अब इसे बिना गठबंधन की नजर से देखें तो...इस अंतर को पाटना आसान नहीं था...लेकिन एसपी और बासपी क मिले वोटों को मिलाकर गौर करें तो....वोटों की संख्या 4 लाख 59 हजार 504 पर पहुंचती है...यानी बीजेपी प्रत्याशी को एसपी-बीसपी को एक साथ मिले वोटों में करीब 20 हजार वोट कम मिले थे...जो मौजूदा गठबंधन इसी आंकड़े का आधार है माना जा रहा है...वहीं दूसरी ओर बिहार में भी राजनीतिक गतिविधियां तेज हुई है....महागठबंधन से नाराजगी जता चुके पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने...जम्मू कश्मीर से धारा 370 पर सीएम नीतीश कुमार के बयान की प्रशंसा की है....नीतीश कुमार धारा 370 हटाए जाने के पक्ष में नहीं हैं...उत्तर प्रदेश में बीजेपी के विजय रथ को रोकने के लिए विपक्षी पार्टियां पूरा जोर लगा रही हैं..एसपी-बीसपी ने 25 साल पुरानी दुश्मनी भुलाकर एक दूसरे को गले लगा लिया....यूपी में कौन किस सीट से लड़ेगा इसका फैसला भी मायावती और अखिलेश यादव ने कर तो लिया है सस्पेंस अभी बरकरार है...।25 साल की दुश्मनी देखते ही देखते दोस्ती में बदल गई...बुआ ने बबुआ को गले लगाया तो, बीजेपी को भी अपने पुरान सिपेसलहार याद आ गई..और मनाने के लिए निकल पड़ी...कहा तो ये भी जा रहा है बीजेपी ने राजभर को और आपना दल को फिर से साथ-साथ लेकर चलने का मन बना लिया...लेकिन इसमें कितनी सच्चाई है ये अभी कोई नहीं जानता क्योंकि, ओमप्रकाश राजभर अभी बीजेपी को, घुड़की देनी कम नहीं कर रहे हैं, अनुप्रिया पटेल भी बीजेपी के खेंमे से अबी बाहर ही देखाई दे रहा है...ऐसे में कौन किसके पाले में बॉल फेंकेगा ये अबी देखेने वाली बात होगी...कहा तो ये जा रहा है कि बुआ ने भतीजे को सीट बंटवारे में गच्चा दे दिया है्,,,,एसपी को वो सीटें मिली हैं जहां उसका आधार कमजोर है उधर एसपी के वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह यादव को ये गठबंधन रास नहीं आ रहा है...लिहाजा यूपी की चुनावी जंग दिलचस्प होती जा रही है...एसपी-बीसपी गठबंधन के बाद अखिलेश और मायावती ने सीटों का बंटवारा भी कर लिया है...यूपी की 80 सीटों में से बीसपी 38 और सपा 37 सीटों पर लड़ेगी...अजीत सिंह की पार्टी आरएलडी को तीन सीटें मिली हैं....अमेठी और रायबरेली की सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दी हैं....सीटों के बंटवारे में बीसपी एसपी के ऊपर भारी पड़ती दिखाई दे रही है.... एसपी के हिस्से में ज्यादातर शहरी इलाकों की सीटें आई हैं... जबकि बीसपी ने ग्रामीण इलाकों की सीटों पर हाथ मारा है...दिलचस्प बात ये है कि 12 शहरी सीटों में से 9 सपा को मिली हैं... इसमें से 5 सीटों पर सपा पहले कभी नहीं जीती है...वहीं बीसपी तीनों सीटों पर जीत कायम कर चुकी है... सीटों के इस बंटवारे को लेकर एसपी के अंदर नेताओं में नाराजगी है... एसपी के वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह यादव ने भी इस पर कड़ा ऐतराज जताया है...एसपी-बीसपी गठबंधन से अलग कांग्रेस 80 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है.... कांग्रेस महासचिव बनने के बाद प्रियंका गांधी कार्यकर्ताओं से मिलकर जमीनी हकीकत का जायजा ले रही हैं...माना डा रही है कि, कांग्रेस 80 सीटों पर उम्मीदवार तो उतारेगी लेकिन उसका ज्यादा फोकस 26 सीटों पर होगा.... कांग्रेस ने 2009 के लोकसभा चुनाव में 21 सीटों पर जीत हासिल की थी। इनके अलावा 5 और सीटों पर फोकस करने की तैयारी है ,कांग्रेस यूपी में छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन करना चाहती है। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव से कांग्रेस की बातचीत चल रही है। खबर है कि कांग्रेस ने आरएलडी को 10 सीटों पर लड़ने का ऑफर दिया है। इसके अलावा एनडीए की सहयोगी अपना दल भी कांग्रेस के संपर्क में है। अनुप्रिया पटेल और अपना दल के अध्यक्ष आशीष पटेल की प्रियंका गांधी से मुलाकात भी हो गई है...लोकसभा चुनाव में काफी कम समय बचा है। इसलिए हर कोई अपनी गोटी फिट कर लेना चाहता है। सवाल ये है कि गठबंधन की रेस में कौन किस पर भारी पड़ेगा? कांग्रेस, शिवपाल यादव और आरएलडी की तिकड़ी बीजेपी को नुकसान पहुंचाएगी। या फिर ये सपा-बसपा का वोट काटेगी? क्या मायावती और अखिलेश ने अपने गठबंधन में कांग्रेस को शामिल नहीं करके गलती की है? क्या मुलायम सिंह यादव ने जो रुख अपना रखा है उससे सपा-बसपा गठबंधन को नुकसान होगा? और सबसे बड़ा सवाल ये कि अगर यूपी में त्रिकोणीय मुकाबला हुआ तो क्या बीजेपी को उतना नुकसान नहीं होगा जिसका अब तक हिसाब लगाया जा रहा है? उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और राज्य सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि उनके लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी सहित अन्य दलों से तालमेल का विकल्प खुला है..राजभर ने एसपी-बीएसपी गठबंधन से गठजोड़ को लेकर पूछे जाने पर कहा कि उनके लिए कई दलों से तालमेल का विकल्प खुला हुआ है और वह कहीं भी जा सकते हैं।।
राजभर ने बताया कि उनकी बातचीत शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से लेकर राष्ट्रीय जनता दल नेता तेजस्वी यादव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, एसपी प्रमुख अखिलेश यादव और बीएसपी सुप्रीमो मायावती सभी से हो रही है..उन्होंने कहा कि वह बीजेपी से गठबंधन को लेकर 24 फरवरी को अपने निर्णय का ऐलान करेंगे। हाल ही में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मिलकर अपनी बात रख चुके राजभर ने बीजेपी पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया और उन्होंने कहा कि वह शाह के साथ हुई बातचीत से संतुष्ट नही हैं..उन्होंने कहा, ‘बातचीत से क्या होने को है। बातचीत तो बहुत दिनों से हो रही है, कोई काम करें, तब मानें। बहुत दिनों से वादा कर रहे हैं। वादे पर अमल हो तो मानें..राजभर ने मांग की कि बीजेपी सरकार सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू करे। बिहार समेत नौ राज्यों में यह लागू है तो फिर उत्तर प्रदेश में इसे क्यों नहीं लागू किया जा रहा है। बीजेपी से गठबंधन जारी रखने के सवाल पर उन्होंने कहा कि 24 फरवरी तक इंतजार कीजिए... उन्होंने कहा कि वह 24 फरवरी को अपने निर्णय का ऐलान करेंगे।

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