मिलेंगे बैठेंगे,मंदिर बनाएंगे
राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के
जरिए हल करने का फैसला किया है....इसके लिए सुप्रीम कोर्ट की
संवैधानिक पीठ ने एक पैनल का गठन किया है ताकि इस मामले का स्थाई हल निकाला
जा सके।
सत्ता के घमासान और
धर्म की फेहरिस्त में राम ललायाद न आये तो फिर राजनीति गर्माई कहां से
आयेगी...वैसे भी बीजेपी की फाइलों में राममंदिर सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभरा...2014
में सत्ता की ताबेदार बीजेपी तब ही हुई जब उसने राम का नाम अपनी घोषणा के सबसे
पन्ने पर छापा...हालाकि फैसला सुप्रीम कोर्ट करना है तो ऐसे में बीजेपी के लिए कुछ
संघर्ष के पल भी रहे...लेकिन लगता है अब बीजेपी के संघर्ष के पल कुछ आसान हो चले
हैं..क्योंकि अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद
के समाधान के लिए इसे मध्यस्थता को सौंप दिया है...इस केस की मध्यस्थता के लिए
सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस खलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पैनल का
गठन किया....इसमें जस्टिस खलीफुल्ला चेयरमैन होंगे... श्री-श्री रविशंकर, और श्रीराम सीनियर एडवोकेट सदस्य होंगे..।।
बाइट-जस्टिस कलीफुल्ला
0803_BYTE_WAKIL_ON_RAM_MANDIR
अब इस मामले की कार्रवाही
फैजाबाद में होगी और गोपनीय होगी...वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता की रिपोर्टिंग पर
बैन लगा दिया है...मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय
संविधान पीठ ने इस मुद्दे पर कई पक्षों को सुना था...पीठ ने कहा था कि इस भूमि
विवाद को मध्यस्थता के लिए सौंपने या नहीं सौंपने के बारे में बहुत जल्द आदेश दिया
जाएगा..जिससे मस्जिद पक्षकार से लेकर मंदिर पक्षकार तक सभी राजी दिख रहे हैं...इस
प्रकरण में निर्मोही अखाड़ा के अलावा कई हिन्दू संगठनों ने इस विवाद को मध्यस्थता
के लिए भेजने के शीर्ष अदालत के सुझाव का विरोध किया था... जबकि मुस्लिम संगठनों ने इस विचार का समर्थन
किया था।
बाइट-0803_BYTE_IQBAAL
सुप्रीम कोर्ट ने विवादित
2.77 एकड़ भूमि के
तीन पक्षकारों निर्मोही अखाड़ा, रामलला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड के
बीच...इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपील पर सुनवाई के
दौरान...मध्यस्थता के माध्यम से विवाद सुलझाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया
था...
SCROL_
वीओ-2
चीफ जस्टिस रंजन
गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति
धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस
अब्दुल नजीर की पांच सदस्यीय संविधान
पीठ ने संबंधित पक्षकारों से कहा कि था कि वे
सुप्रीम कोर्ट के फैसला
सुरक्षित रखे जाने पर संतों ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए मामले को लटकाने वाला
बताया है… जबकि मुस्लिम पक्षकारों
ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला उन्हें मंजूर होगा.. रामजन्मभूमि न्यास के
अध्यक्ष महंत कमलनयन दास ने कहा,, ‘मुस्लिमों से कतई कोई समझौता नहीं हो सकता है,,भगवान राम हिंदुओं के आराध्य हैं। उन पर कोई
समझौता नहीं किया जा सकता है..
प्रमोद शर्मा
==================
सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में को
महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए मध्यस्थता के जरिए इस मसले को सुलझाने का आदेश दिया
है...कोर्ट ने केस को मध्यस्थता के लिए भेज दिया है...मध्यस्थ की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के माध्यम से होगी और उसकी निगरानी भी सुप्रीम कोर्ट ही
करेगा...।।
वीओ-1
राम नाम का सहारा सुप्रीम कोर्ट
ने सियासतदानों के ऐसा दे दिया कि, रामनाम जपते-जपते वो फिर इसे सियासी चश्में से देखने लगे
बाइट--ओवैसी
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या मामले से जुड़े पक्षकारों सहित तमाम लोगों की प्रतिक्रिया सामने
आई है....यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की आई उनका कहना है कि, कोर्ट के फैसले पर हमारे नेता विचार करेंगे..।।
बाइट-0803_BYTE_KP_MAURYA_ON_RAM_MANDIR (छोटी करनी है)
वहीं अयोध्या में विवादित ढांचा
के मामले में एक मस्जिद पक्षकार इकबाल अंसारी ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का
सम्मान किया...उनका कहना है कि पहले भी मध्यस्थता की कोशिश हुई है... लेकिन एक बार और होती है तो ठीक है...।।
बाइट- इकबाल अंसारी मस्जिद
पक्षकार (पहले वाली में से निकालनी है)
अयोध्या के रामजन्मभूमि विवाद
के प्रमुख पक्षकार महंत धर्मदास महाराज ने कहा कि कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य
है...उन्होंने कहा कि जस्टिस खलीफुल्लाह को इसका अध्यक्ष बनाया गया है यह भी ठीक
है...लेकिन उनके नाम पर कोई सियासत नहीं होनी चाहिए....एक जज जज होता है...उसका किसी धर्म से कोई लेना देना नहीं होता है.
बाइट- महंत धर्मदास महाराज, राम मंदिर पक्षकार
वहीं हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अदालत में रामजन्मभूमि के पक्षकार
स्वामी चक्रपाणि ने भी कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है...उन्होंने कहा कि कोर्ट
ने मध्यस्थता के लिए समय तय किया है यह ठीक है.
बाइट-स्वामी चक्रपाणि, रामजन्मभूमि के पक्षकार
दरसल, अयोध्या जमीन विवाद सालों से
चला आ रहा है...मान्यता है कि, विवादित जमीन पर ही भगवान राम का जन्म हुआ...हिंदुओं का दावा है कि 1530 में बाबर के सेनापति मीर बाकी
ने मंदिर गिराकर मस्जिद बनवाई थी. 90 के दशक में राम मंदिर के मुद्दे
पर देश का राजनीतिक माहौल गर्मा गया था....6 दिसंबर 1992 को कार सेवकों ने विवादित ढांचा
गिरा दिया था...अयोध्या विवाद की मध्यस्थता के सवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने
फैसला सुरक्षित रखा था...कोर्ट ने सभी पक्षों को सलाह दी है कि बातचीत से मामले को
सुलझाया जाए...।।
प्रमोद शर्मा..
===================
रामजन्मभूमि-बाबरी मस्ज़िद का विवाद एक बार फिर मध्यस्थता की ओर बढ़ चला
है...सुप्रीम कोर्ट ने तीन मध्यस्थों के नाम का ऐलान किया, जिन्हें अगले 8 हफ्ते में अपनी
रिपोर्ट सौंपनी होंगी...यानी इससे साफ है कि अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव
से पहले अयोध्या मसले पर किसी तरह का फैसला आने की उम्मीद नहीं है..।।
वीओ-1
राम मंदिर विवाद का हल अब मध्यस्थता के भरोसे निकलता नजर आ रहा है. सुप्रीम
कोर्ट ने मध्यस्थों के नाम तय कर दिए हैं... लेकिन इसी के साथ ही ये मामला चुनाव
के पार ज्यादा नज़र आ रहा है..क्योंकि, लोकसभा चुनाव से पहले
लगातार मंदिर निर्माण को लेकर आवाज़ें उठ रही थीं. विश्व हिंदू परिषद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक
संघ, साधु-संतों के अलावा
कई हिंदूवादी संगठनों की ओर से केंद्र सरकार पर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को
लेकर दबाव बनाया जा रहा था....पिछले दिनों साधु-संतों और विश्व हिंदू परिषद की
धर्म संसद में भी राम मंदिर को लेकर प्रस्ताव पास किया गया था और अपील की गई थी कि
मोदी सरकार को तुरंत अध्यादेश लाकर राम मंदिर निर्माण शुरू करना चाहिए....
बाइट-पुराने पैकेज से निकालनी है
हालांकि, मध्यस्थता के लिए 8 हफ्ते का समय मिलने
के साथ ही उन आवाजों को भी झटका लगा है...जो लगातार कह रहे थे कि 2019 के लोकसभा चुनाव से
पहले मंदिर निर्माण होना चाहिए...बीजेपी की ओर से भी
पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, उत्तर प्रदेश के
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कह चुके हैं कि बीजेपी राम मंदिर निर्माण के लिए तैयार
है…
बाइट-अमित शाह, राममंदिर (ani 07 date)
बाइट- योगी आदित्यनाथ
हालांकि हर बार यही कहा गया है कि पार्टी संवैधानिक रूप से ही मंदिर निर्माण
के पक्ष में है. जिसके बाद विपक्ष की ओर से भी इस बात का आरोप लगाया गया था कि
बीजेपी चुनाव से पहले इस मुद्दे को गर्मा रही है…सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थों के पैनल को 8 हफ्ते में अपनी रिपोर्ट देने का समय दिया है.. इसके अलावा उन्हें छूट भी दी गई है कि अगर उन्हें अधिक समय चाहिए तो वह
सुप्रीम कोर्ट से अधिक समय मांग सकते हैं....यानी 8 मार्च से लेकर 8 मई तक ये मसला
मध्यस्थों के पास ही रहेगा....गौर करने वाली बात ये भी है कि मई-जून में गर्मियों
की छुट्टियों के कारण सर्वोच्च अदालत बंद रहती है...इस बीच उम्मीद जताई जा रही है
कि लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई के महीने में ही होंगे, क्योंकि, मौजूदा सरकार का कार्यकाल 16
मई को खत्म हो रहा है और 26
मई तक नई सरकार का गठन होना है. चुनाव आयोग भी आज-कल चुनाव की तारीखों का ऐलान
कर सकता है...।।
प्रमोद शर्मा
वीओ-1
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दे दिया है कि अयोध्या में विवादित जगह पर
मंदिर-मस्जिद का विवाद सुलझाने केलिए बातचीत की जाए और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी
में इस बातचीत की मध्यस्थता हो…लेकिन क्या सुप्रीम
कोर्ट के इस फैसले से चुनावों पर असर पड़ेगा?...क्या चुनाव पूरे होने
तक बातचीत पूरी हो जाएगी?....सुप्रीम कोर्ट के फैसले की मोटी बात यह है कि, तीन सदस्यीय पैनल एक सप्ताह में बातचीत शुरु करे....यानी इस पैनल को 15 मार्च तक बातचीत शुरु
करनी है इसके बाद चार सप्ताह का समय सुप्रीम कोर्ट ने बातचीत के लिए दिया है....यानी 15 मई तक इस मामले में
बातचीत पूरी हो और पैनल सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपे..अब इसे चुनावी नजरिए
से देंखे तो...संभावना यही है कि...चुनाव आयोग अगले 3 से 5 दिनों में चुनाव की
तारीखों का ऐलान कर देगा....सूत्रों के मुताबिक चुनाव अप्रैल-मई माह में 8 या 9 चरणों में होने
हैं.... इस तरह सभी दौर का मतदान पूरा होने तक सिर्फ पैनल की बातचीत ही पूरी
होगी... और उसके बाद वह अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगा...वैसे भी इस सरकार
का कार्यकाल 26
मई को खत्म हो रहा है और मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल 3 जून तक ही है। ऐसे में
मंदिर-मस्जिद का मामला चुनावों में मुद्दा बनने वाला नहीं लगता…।।
प्रमोद शर्मा
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें