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'एक देश, एक चुनाव' के मसले पर छिड़ी राजनीतिक बहस, किसी ने किया समर्थन तो किसी ने बताया संविधान के खिलाफ
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' एक देश , एक चुनाव ' के मसले पर छिड़ी राजनीतिक बहस , किसी ने किया समर्थन तो किसी ने बताया संविधान के खिलाफ केन्द्र में नरेन्द्र मोदी सरकार की वापसी के बाद एक बार फिर भारत ' एक राष्ट्र , एक चुनाव ' (One Nation One Election) बहस छिड़ गई है। जहां समर्थक इसके फायदे गिना रहे हैं , वहीं विरोधियों का मानना है कि इससे नुकसान ही होगा। वर्ष 2003 में भी लालकृष्ण आडवाणी ने कहा था कि सरकार लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने के मुद्दे पर गंभीरता से विचार कर रही है। उस समय भी केन्द्र में भाजपा की ही सरकार थी। हालांकि विपक्ष के रुख देखते हुए नहीं लगता कि इस मसले पर सर्वसम्मति बन पाएगी। SPCIAL_REPORT_ON ELCITON ANCHOR_OKG_1 वन नेशन-वन इलेक्शन की चर्चा बार-बार होती है लेकिन उस पर आम सहमति बनाने की कोशिश काफी कम मौकों पर हुई … आम सहमति बनने में अक्सर राजनीतिक दलों का नफा-नुकसान आड़े आ जाता है। आइए जानते हैं कि आखिर वन नेशन-वन इलेक्शन का आइडिया है क्या ? VO 1- वन नेशन-वन इलेक्शन का मतलब है देश भर में एक साथ चुनाव कराना… . यानि लोकसभा चुनाव और सभी राज्यों का विधानसभा
अनंतनाग में शहीद हुआ मेरठ का लाल पूरे परिवार में कोहराम
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1 जवान बेटे की शहादत , पिता के सीने पर , उस नासूर की तरह चुभ गई .. जिसकी टीस अरसे तक रहेगी ... इस हमले में एक पिता ने सिर्फ आपना बेटा नहीं खोया देश सुरक्षा को लेकर आत्म विश्वास भी खोया है ! कोई भी नहीं समझ पा रहा है , और , न सरकार समझा पा रही है कि , हमारा अगला कदम क्या होना चाहिएइस मातम के बीच आपको क्रांतिधारा मेरठ लेकर चलते हैं ... मादर - ए हिंद की हिफाजत में कुर्बान हुए हैं लालरास्ते में है शहीद का टोला , आखिरी रुखसती के इंतजार में बिलख पड़ा परिवार...इस परिवार के लिए , ठहर गया है जीवन .... ठहर गया है मौसम .... ठहर गई है रुत , और ठहर गया है मातम रह-रह कर गूंजती है , पिछली बाते मोर्चे पर हूं,.. महफूज रखना है वतन को...कहते हैं बाप के लिए जमीन से भी भारी हो जाती जवान बेटे की लाश , .... कोई तो कह दे खबर झूठी है...झूठे हैं ये अखबार , हजारों झूठे शब्दों के बीच इस झूठ की गुजाइंश , क्यों नहीं है क्यों नहीं है ? दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग से आई इस खबर ने शहीद के परिवार को विलाप के अलाप में बदल दिया है...जहां से आती ही सातवें सुर में रुदन की आवाजें , अब केतन शर्मा को ही ले लिजिए...दे
सुनिए, परमहंस स्वामी अड़गड़ानन्द जी महाराज की मधुर वाणी
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