अनंतनाग में शहीद हुआ मेरठ का लाल पूरे परिवार में कोहराम


1जवान बेटे की शहादत, पिता के सीने पर, उस नासूर की तरह चुभ गई ..जिसकी टीस अरसे तक रहेगी...इस हमले में एक पिता ने सिर्फ आपना बेटा नहीं खोया देश सुरक्षा को लेकर आत्म विश्वास भी खोया है !कोई भी नहीं समझ पा रहा है, और,   सरकार समझा पा रही है कि, हमारा अगला कदम क्या होना चाहिएइस मातम के बीच आपको क्रांतिधारा मेरठ लेकर चलते हैं...मादर-ए हिंद की हिफाजत में कुर्बान हुए हैं लालरास्ते में है शहीद का टोला, आखिरी रुखसती के इंतजार में बिलख पड़ा परिवार...इस परिवार के लिए, ठहर गया है जीवन.... ठहर गया है मौसम....ठहर गई है रुत, और ठहर गया है मातम रह-रह कर गूंजती है, पिछली बाते मोर्चे पर हूं,.. महफूज रखना है वतन को...कहते हैं बाप के लिए जमीन से भी भारी हो जाती जवान बेटे की लाश,....कोई तो कह दे खबर झूठी है...झूठे हैं ये अखबार, हजारों झूठे शब्दों के बीच इस झूठ की गुजाइंश, क्यों नहीं है क्यों नहीं है ?दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग से आई इस खबर ने शहीद के परिवार को विलाप के अलाप में बदल दिया है...जहां से आती ही सातवें सुर में रुदन की आवाजें, अब केतन शर्मा को ही ले लिजिए...देश पर मर मिटने वाले शहीद केतन शर्माका परिवार मेरठ की श्रद्धापुरी रहत है...जब उनके घर उनकी शहादत की खबर पहुंची तो परिवार में कोहराम मच गया...सब कुछ तो ठीकठाक चल रहा था...27 मई को छुट्टी पर घर आए तो सबको वक्त दिया.. मां-पिता के साथ ही रिश्तेदारों से भी मिले.. बिटिया की नाराजगी उसकी चीजें दिलाकर पूरी की...लेकिन वतन की हिफाजत ने सब पीछे छोड़ दिया..और फिर से जल्द आने का वादा कर मोर्चे पर निकल गए...लेकिन अब ताबूत रास्ते में है...पिता के सामने एक वो खुशी थी जब अपनी मेहनत के दम पर केतन ने सेना में अफसर बनकर पिता का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया था...दिल्ली की ईरा से शादी होने के बाद घर में बेटी कैरा का जन्म हुआ तो खुशियां और दोगुनी हो गईं... शहीद केतन पिता ने रविंद्र कुमार शर्मा ने जिंदगी में काफी उतार-चढ़ाव देखे...मोदी रबर फैक्टरी बंद होने के बाद उन्होंने मेरठ में रहकर बेटे केतन और बेटी मेघा को अच्छे से पढ़ाया लिखाया...बेटे की इच्छा सेना में जाने की थी और वे सपना पूरा भी हो गया...लेकिन वतन के हिफाजत ने उसे भी बौना कर दिया...अकेले भाई के इतंजार में एक बहन, इंतजार जिसपर समय ने अनंत की तारीख लिख दी...बुढ़ी जुबान लपक जाती है..ये कहते हुए कि, दुश्मनों के माफ मत करना.सबको खुश करके केतन जम्मू गए तो रोजाना फोन पर सबसे बातचीत का सिलसिला चलता रहा... रोजाना पत्नी, बेटी, मां, पिता से बात करके सबका हालचाल लेते थे.... मां के बीमार रहने के कारण पिता से ज्यादा यही बात होती कि उनका ध्यान रखना...अचानक से आई इस मनहूस खबर ने सबको मायूस कर दिया...पिता रविंद्र कुमार ये समझ ही नहीं पा रहे हैं कि करें तो क्या करें ? मां को कैसे जाकर बताएं कि तेरा लाल देश पर कुर्बान हो गया है....केतन वापस ड्यूटी पर ये कह कर गए थे कि, वतन की हिफाजत जरूरी है लेकिन, इस बार छुट्टियां शहर से बाहर मनाएंगे...लेकिन प्रार्थना नमंजूर हो गई..मुल्क की मिट्टी पर केतन कुर्बान हो गए....।।
बाइट-
अब आगे पहाड़ जैसा जीवन है इन परिवारों के पीछे का...अपने परिवार में केतन अकेले नोकरी में थे..बच्चों की पढ़ाई उनका जीवन, रहना सरहना, और उनकी  जिंदगी,... बाकी माता पिता की सांसे तो चलती ही रहेगी जैसे-तैजे...लेकिन इस परिवार की फिलहाल जिंदगी ठहर सी गई है...तो क्या हुआ कहती है पैरों पाजेब हवाओं जरा झूमकर, गाना, आज शहीद का टोला आने वाला है...।।

पुलवामा के हमले के बाद दो बार हुए अनंतनाग हमले में पिछले कुछ दिनों में, देश कि शहादत को, सबसे बड़ी चोट दी है...इन हमलो हमने अपने अपने 9 जवान खो दिए..हालांकि पुलवामा हमले मास्टर माइंड सज्जाद बट समेत कई आतंकियों हमारे जंबाजों में ढ़ेर कर दिया....लेकिन शहीदों परिजन कह हम टूटे नही हैं, बस इतना बता दो सरकार इस आतंक का कब करोगे हिसाब ? ...।।

शहीद के परिजन उबल रहे हैं अपने दर्द का आंच पर....ढलती जा रही है तड़प की लौ...आंसूओं की स्याही में देश की हिफाजतके लिए परिवार को दगा दे गया लाल...पर, वतन पर कोई आंच नहीं आने दी, अपने ही भीतर बिलख जाता है अनमोल अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
बाइट-परिजन
पुलवामा में बड़े आतंकी हमले में के बाद अनंतनाग ने शहादत की नया अध्याय लिख दिया...पुलवामा में करीब 50 जवानों नें अपना शाहदत दी थी...अब अनंतनाग में लगातार हमलों में 9 जवानों की कुर्बानी देश की आंखे नम कर गई..इस शाहदत में 12 जून को 5 जवान शामिल थे जिनमें...हरियाणा निवासी एएसआई रमेश कुमार, असम निवासी एएसआई निरोद शर्मा, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर निवासी सतेंद्र कुमार, गाजीपुर निवासी महेश कुमार कुशवाहा, मध्य प्रदेश के देवास निवासी संदीप यादव शामिल थे...।।
बाइट- रोते हुए परिजनों की
इसके बाद सोमवार को फिर आतंकियों ने अनंतनाग को निशाना बनाया...जिसमें दो जवान शहीद हो गए...इसके अलावा अस्पताल में इलाज के दौरान 2 और जवान वीरगति को प्राप्त हो गए...शहीद जवानों में मेरठ के केतन शर्मा थे...।

हमले से कुछ ही दिन पहले केतन शर्मा की परिजनों से बात हुई थी...कहा था, अभी हालात अच्छे नहीं हैं लेकिन, जब भी छुट्टी मिलेगी खूब धमाल करेंगे...पता नहीं किसकी नजर लगी आने की खबर तो आई,...पर कफन के जिंद में...सबको गुमान है कि,...मिट्टी का लाल मुल्क के काम आया है...सबकी नजरें इस उठान की बयान है...लेकिन पलकों के नीचे आया पानी सवाल उगल देता है..ये शहादत आखिर कब तक ?
बाइट-
शहादत युद्ध में होती तो कुछ और बात होती...ऐसे जाने की हसरत तो नहीं थी हमें...और पूछ बैठती है हवाएं, मौत से इश्क का ऐसा दस्तूर कब तक निभाएंगे हम...मां सिसक पड़ती है अपने शहीद बेटे पर...दूसरा बेटा भी शहादत की विरासत के ताबेदार बनने को तैयार है..याद आती है गुलेरी की वो कहानी...उसने कहा था कि, तेरी कुर्रमाई हो गई, धत देखते नहीं, ये तिरंगे में लिपटा ये ताबूत...और ताबूत के नीचे नीचे मौत थी,..मौत की बाजुओं में 9 जवानों की देह...तड़प उठा पूरा परिवार शहीद के आखिरी दीदार को...27 मई को केतन शर्मा छुट्टी खत्म हो गई थी..और वतन की हिफाजत के लिए फिर लौट गया...बेटे की शहादत की जानकारी भी सेना का जवानों ने उनके परिजनों को दी...सूचना के बाद तो घर मे मौजूद पिता रविन्द्र शर्मा और उनकी पत्नी की तो जैसे दुनिया ही उजड़ गई...पत्नी ईरा भी बेटी कैरा के साथ उस वक्त ससुराल में थीं...घटना की जानकारी मिलते ही पूरे परिवार कोहराम मच गया....दर्द में डूबे गुस्से के साथ दर्द का सैलाब भी उमड़ रहा है...लेकिन सियासत के मेले में कुर्बानियों को सिर्फ बदले का अमलीजामा पहनाया जा रहा है...क्या होगा और क्या होना चाहिए किसी को नहीं पता..देश में डूबे दर्द के साथ गुस्से का सैलाब भी उमड़ रहा है....अनंतनाग हमले में अबतक भारत माता करीब 9 लाल भी शहीद हुए...मुल्क के बहादुर लाल की शहादत पर जहां देश को फ़क्र है..तो उनके न होने का अफशोश भी है...क्योंकि, शाहदत के आगे सवाल बन ही जाता है शाहदत कबतक ?

बस ये बात हवाओं के बताए रखना
रौशनी होगी चिरागों को जलाए रखना
लहु देकर भी जिसकी हिफाजत की शहीदों ने
उस तिरंगे को सदा दिल में बसाए रखना
दिल से मरकर भी निकलेगी वतन की उल्फत
मेरी मिट्टी से खुसबू ए वतन आएगी...
ये इन चंद लाइनों के साथ ये सलामी है उन सपूतों की..जिन्होंने देश के लिए अपनी जान की भी परवाह नहीं की....कहां सबके नसीब में होता है तिरंगे में लिपटना शहीद जंबाज को जब अतिंम विदाई दी गई...तो हवाओं ने भी अपनी सांसे थाम ली...जम्मू-कश्मीर के पुलवामा और अनंतनाग  में शहीद हुए  जवानों शहादत को देश अभी भूल भी नहीं पाया था कि, अनंतनाग में आतंकियों अपनी रायराना हरकत के फिर देश को गहरे जख्म दिए....अनंतनाग मुठभेड़ में 9 जवान और शहीद हो गए...जिसमें 5 जवान तो 12 ताऱीख को शहीद हुए और चार केतन शर्मा और रायफल मैन अनिल कुमार जैसवाल भी शहीद हुए...वहीं 17 तारीख को पुलवामा में घयल हुए दो जवान नयाक अजीत कुमार और हवलदार अमरजीत कुमार भी वारगति को प्राप्त हुए...हालांकि इस दौरान हमारे जाबाजों ने कई अतंकियों को ढ़ेर कर दिया...जिसमें पुलवामा हमले का मास्टर माइंड सज्जाद बाट भी शामिल है...पुलवामा हमले के बाद जिस तरह से पूरे देश में आक्रोश है उसका सीधा संदेश यही है कि, पाकिस्तान ही नहीं उसके हमदर्द भी अब किसी भी कीमत पर भारत को बर्दाश्त नहीं हैं...देश की सामूहिक सोच यही है कि अब कोई भी अस्त्र ना छोड़ो बस हर हाल में पाकिस्तान की कमर तोड़ो....फिर चाहे वो कूटनीति का रास्ता हो अर्थनीति का हथियार हो या फिर सैन्यनीति का वार हो....।।
बीते 5 साल में बढ़ी शहीदों की संख्या
जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले लगातार बढ़ रही हैं....फरवरी 2019 में गृह मंत्रालय ने आतंकी हमलों से जुड़े कई आंकड़ें लोकसभा में पेश किए थे....जिनके मुताबिक बीते 5 सालों में आतंकी हमलों की संख्या बढ़ी है....साल 2018 के मुकाबले 2019 में शहीदों की संख्या बढ़ी है...क्योंकि पिछले पूरे साल में जम्मू-कश्मीर में 91 जवान शहीद हुए और 38 नागरिक मारे गए थे... 2018 में सुरक्षाबलों की कार्रवाई में 257 आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा गया था....ये जानकारी भी सरकार ने ही लोकसभा में दी थी...इसी साल फरवरी में गृह मंत्रालय ने लोकसभा में बताया था कि, 2014 से 2018 के बीच 96% ज्यादा जवान शहीद हुए....पिछले पांच सालों में आतंकवादी हमलों में 176 फीसदी की बढ़ोतरी हुई....इस दौरान कुल मिलाकर 1708 आतंकवादी हमले हुए....यानी हर महीने करीब 28 हमले...।।
कुछ आंकड़ों पर नजर डालिए
बीते 5 सालों में आतंकी हमलों में कुल 1315 लोगों की जान गई...138 आम नागरिक और 339 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए....वहीं फोर्सेज ने 838 आतंकवादियों को मार गिराया...2014 में 222 हमले हुए, वहीं 2015 में इससे कुछ कम 208 हमले हुए...लेकिन 2016 आते-आते हालात बिगड़ने लगे और हमलों में 59% का इजाफा हो गया. अगले साल यानी 2017 में 342 आतंकवादी हमले हुए. 2017 में 6 फीसदी ज्यादा हमले हुए. 2018 में हालात और खराब हो गए क्योंकि इस साल 614 हमले हुए. 2018 में हर महीने 51 आतंकवादी हमले हुए...पुलवामा हमले के बाद अनंतनाग आतंकी हमले ने देश को ऐसा जख्म दिया कि,...उससे पूरा देश उबल रहा है...देश की आवाज यही है कि आखिर आतंक को कबतक बर्दाश्त करेगा हिन्दुस्तान...आतंकवाद देश के लिए नासूर बन गया है..हर रोज आतंकी घटनाएं हो रही है...जबकि देश की सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री मोदी न सिर्फ एक वैश्विक नेता के तौर पर मजबूत है बल्कि, पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को यह भी बता दिया है कि उसकी नाफरमानियों के बाद भारत भी उसके साथ किसी तरह की रियायत नहीं करेगा..देश में आतंकवाद को जड़ से खत्‍म करने के लिए सरकार ने बड़ी तैयारी की है. न्‍यूज एजेंसी सूत्रों के हवाले से बताया है कि हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक टेरर मॉनिटरिंग ग्रुप का गठन किया है. जम्‍मू-कश्‍मीर सीआईडी के अडिशनल डीजीपी को इसका चेयरमैन नियुक्‍त किया गया है...एक रिपोर्ट के मुताबिक, टेरर मॉनिटरिंग ग्रुप में सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन,.. सेंट्रल ब्यूरो ऑफ डायरेक्ट टैक्स,...प्रवर्तन निदेशालय, इंटेलिजेंस ब्यूरो, नैशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी और सेंट्र्रल बॉर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्स एण्‍ड कस्टम्स के सदस्‍य भी रहेंगे.सूत्रों के हवाले से ऐसा भी कहा जा रहा है कि टेरर मॉनिटरिंग ग्रुप को घाटी में सक्रिय रहने के लिए कहा गया है. देश की कई एजेंसियों की और से की गई कार्रवाई की जानकारी भी इस टीम को दी जाएगी...इससे टेरर फंडिंग करने वालों को बड़ झटका लग सकता है...दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग के गवर्निग कांउसिल की पांचवीं बैठक हुई....इसमें भी देश की सुरक्षा और आतंकी गतिविधियों पर चर्चा हुई....इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भारत को 2024 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य चुनौतीपूर्ण है….लेकिन अगर राज्यों के संयुक्त प्रयास से इसे हासिल किया जा सकता है…. राज्य सरकारें निर्यात संवर्द्धन पर ध्यान दें….. लोगों की आय और रोजगार के अवसर बढ़ाने में निर्यात क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है....इस बैठक में देश की सुरक्षा, सूखे की स्थिति, कृषि क्षेत्र के संकट, वर्षा जल संचयन और खरीफ फसल के लिए तैयारियों के मुद्दे पर विचार-विमर्श होगा. सूत्रों के अनुसार, बैठक के पांच सूत्री एजेंडा में आकांक्षी जिला कार्यक्रम, कृषि में बदलाव और सुरक्षा संबंधी मुद्दे भी शामिल हैं. बैठक में विशेषरूप से नक्सल प्रभावित जिलों पर विचार-विमर्श हुआ.

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