और अडानी (Adani) की जांच क्यों नहीं होनी चाहिए ?
India Today's News in Hindi अडानी समूह (Adani Group) जिस तरह से शेयर बाजार (Share Market) में गोते खा रहा है इससे साफ़ लगता है कि हिंडेनवर्ग की रिपोर्ट सही है। इस रिपोर्ट में यही बात दर्ज की गई थी कि अडानी कंपनी ओवर वैल्यूड है। जितनी की सम्प्पति नहीं है उससे कई गुना ज्यादा वैल्यू करके बाजार को पलीता लगाया जा रहा है। दूसरा बड़ा आरोप यह था कि अडानी समूह कैरेबियन देशों में कई शेल कंपनियों को संचालित करता है इन्ही शेल कंपनियों के जरिये बाजर में स्थिति मजबूत बनाये रखने का स्वांग रचता है। ये दोनों बड़े आरोप थे। हिंडेनवर्ग (Hindenburg) ने निष्कर्ष के तौर पर कहा है कि यह अडानी समूह एक फ्रॉड कंपनी है जो भारत और भारत के लोगों के साथ धोखाधड़ी करता है।
अब जब इस रिपोर्ट के बाद अडानी की कंपनी लगातार जमींदोज हो रही और हर जगह से जांच की मांग हो रही तो ऐसे में भारत सरकार को इसकी जांच क्यों नहीं कराई जा सकती ? चुकि इस कंपनी में देश के बैंको और एलआईसी समेत कई सार्वजानिक क्षेत्रों के पैसे लगे हुए हैं ऐसे में सरकार की यह बड़ी जिम्मेदारी बनती है कि इसकी निष्पक्ष जांच कराई जाए ताकि जनता के पैसे सुरक्षित रह सके।
क्या अडानी समूह ((Adani Group)को इसलिए जांच से अलग किया जा सकता है कि यह कंपनी गुजरात से आती है और इस कंपनी के मुखिया के सरोकार पीएम मोदी (PM Modi) से है ? क्या पीएम मोदी यह चाहेंगे कि कोई कंपनी उनके नाम का लाभ उठाकर देश को बर्बाद करे ? देश का पैसा लूट ले जाए ? इसलिए सबसे जरुरी यह है कि इस कंपनी की जांच की जाए। जांच होने पर सच और झूठ का पर्दाफास हो जाएगा।
इस मामले में अदालत को भी स्वतः संज्ञान लेने की जरूरत है। हिंडेनवर्ग की रिपोर्ट सार्वजानिक डोमेन में है। अदालते भी इस रिपोर्ट को देख और पढ़ रही है और रिपोर्ट के असर को भी देख रही है ऐसे में सुप्रीम कोर्ट इस पर कोई बड़ी कार्रवाई के लिए पहल कर सकती है। सीबीआई ,ईडी और इनकम टैक्स विभाग इस पर कार्रवाई क्यों नहीं करती ? जब इन जांच एजेंसियों को सबकुछ पता होता है तो इस पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है. ये जांच एजेंसियां कहती रहती है कि सरकार का उस पर उसका कोई दबाब नहीं होता। वह जो भी कार्रवाई करती है अपने हिसाब से करती है। तो क्या इतना बड़ा मामला सामने आने के बाद भी ये एजेंसियां कोई कार्रवाई करेगी ?
लगता है कि सरकार भीतर से परेशान है। वह चुनावी हानि -लाभ का आकलन कर रही है। विपक्ष भी जांच की मांग कर रहा है लेकिन सरकार नकार रही है। लेकिन आखिर ये सब कबतक चलेगा ? आज न कल इस पर जांच होगी ही क्योंकि जब बैंक के पैसे और एलआईसी के पैसे के डूबने की नौबत आएगी तो संभव है कि सरकार जागेगी। तब संभव है कि बहुत देर हो चूका होगा। और ऐसा हुआ तो सरकार की बेनामी काफी होगी।ऐसे में सबसे अहम् सवाल यही है कि सरकार बिना कोई डर्टी किये इस मसले की जांच कराये। संभव हो कि इस जांच से अडानी कंपनी भी बच जाए और हिंडेनवर्ग की रिपोर्ट झूठी साबित हो जाए।
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