सच तो यही है कि जाति और हिंदुत्व ही इस देश मिजाज है…

News India! संघ का प्रमुख लक्ष्य क्या है ? एक ही लक्ष्य है कि भारत हिन्दू राष्ट्र बने। संघ की स्थापना 2025 में की गई थी। हालांकि यह अभी तक कोई पंजीकृत संगठन नहीं है लेकिन इस संघ की शाखाये और उप शाखाये पुरे देश में फैली हुई है। मकसद एक ही है कि देश हिन्दू राष्ट्र बने। संघ के सभी संगठन जब आपस में मिलते हैं तो एक ही विचार पर मंथन होता है और वह है हिन्दू राष्ट्र। अब दो साल बाद संघ सौ साल का हो जाएगा। 2025 में संघ के सौ साल होंगे और संघ की समझ यही है कि जब 2024 के चुनाव में बीजेपी की सरकार फिर से बनेगी तब शायद उसकी मंशा पूरी हो जाए। कह सकते हैं कि बीजेपी के लोगों को जहां अगले चुनाव में जीत हार की जितनी संवेदना नहीं है उससे कही ज्यादा संवेदना संघ के बीच है। संघ हर हाल में अगले चुनाव में बीजेपी की जीत चाहता है। उसे लग रहा है कि अगर 2024 में फिर से मोदी सरकार की वापसी होती है तो शायद उसके मनोरथ पूर्ण हो जायेंगे।
और भी पढ़े: Bageshwar Dham controversy: बाबा धीरेन्द्र शास्त्री के समर्थन में उतरे कथावाचक Devkinandan thakur पिछले दिनों संघ प्रमुख मोहन भागवत देश की जातियों को लेकर एक बयान दिया। पहली बार भागवत ने माना कि देश के भीतर जातियों की शुरुआत भगवान् ने नहीं की थी यह पंडितों की देन है। यानी इस देश के पंडितों ने अपने लाभ के लिए वर्ण व्यवस्था और जातियों का निर्माण किया। आज से पहले भागवत इस तरह के बयान कभी नहीं दे सके। यही बात गैर ब्राह्मण समाज के लोग जब कहते थे तो संघ को बुरा लगता था और माना जाता था कि गैर ब्राह्मण हिन्दू ब्राह्मणत्व को चुनौती देते हैं। भागवत हमेशा ब्राह्मणो को ही श्रेष्ठ मानते रहे हैं। यही वजह है कि कुछ अपवाद को छोड़ दे तो आज भी संघ में बड़े पदों पर महाराष्ट्र के चितपावन ब्राह्मणो की ही नियुक्ति होती है। यह खेल वर्षो से जारी है। पिछड़े और शद्र लोग संघ से जुड़ते जरूर हैं लेकिन उन्हें आगे नहीं बढ़ाया नहीं जाता। वे सेवा भाव से ही संघ में रखे जाते रहे हैं। भागवत ने जातियों के बारे जो बाते कही है वह देश के लिए बिलकुल नयी बाते हैं। हालांकि यह सच भी है कि चार वर्णो की सूची ब्राह्मणो ने ही बनाई थी। भगवान् को दोषी क्यों ठहराया जाए ! लेकिन हालिया बयान के पीछे वोट की राजनीति है। पहले तो संघ और बीजेपी ने जाति से ऊपर धर्म की राजनीति की। पिछले दो चुनाव में हिंदुत्व के आसरे लोगो को जोड़ा गया। सभी जातियों के लोगो को इस बैनर के नीचे लाया गया। सभी वर्णो को लगा कि वे भी हिंदुत्व क्व वाहक हैं। पिछड़े और दलितों को भी लगा वे भी हिंदुत्व के सारथि है। आदिवासियों को भी यही लगा। लेकिन चुकी हमारे देश में जाति व्यवस्था इतनी जमीन की जड़े पकड़ चुकी है कि धर्म से आगे जाति प्रबल हो जाती है। अब पिछड़े वर्गों ,दलितों और आदिवासियों को लगने लगा है कि जो हुआ सो हुआ अब एक बार जाति जनगणना हो जाए। जिसकी आबादी जितनी होगी उसका राज होगा। भागवत जानते हैं कि भारत में ब्राह्मणो की आबादी कितनी है। वे यह भी जानते है कि सवर्ण इस देश में कितने हैं और उनकी राजनीति पहुँच कितनी है ? भागवत को यह भी पता है कि जिस दलित और पिछड़ी जातियों को सालो तक उपेक्षित रखा गया अब सबसे आगे बढ रहे हैं और उनकी संख्या ही देश की बड़ी संख्या है। वे ये भी जानते हैं कि अब ब्राह्मणत्व का आडम्बर नहीं चल सकता। पिछडो और दलितों को नहीं साधा गया तो खेल बिगड़ सकता है। और खेल बिगड़ गया तो फिर उनके लक्ष्य का क्या होगा ? लक्ष्य है हिन्दू राष्ट्र !
भागवत के बयान हर समय अलग -अलग तरह के आते रहे हैं। पिछले साल 12 जनवरी को उन्होंने हिंदुत्व पर जो बयां दिया था उस पर रौशनी डालने की जरूरत है। उन्होंने कहा था कि सनातन धर्म ही हिन्दू राष्ट्र है। धरम भास्कर पुरस्कार समारोह में भागवत ने कहा था कि धर्म भारत का असली सत्व है। सनातन की वजह से भारत अंग्रेजो की शिक्षा प्रणाली से खुद बचाये रखा। उन्होंने कहा कि जब कभी हिन्दू राष्ट्र आगे बढ़ता है ,उस धर्म के लिए ही आगे बढ़ता है और यह सब ईश्वर की इच्छा है कि सनातन धर्म आगे बढे इसलिए हिन्दुस्तान का उदय निश्चित है। भागवत ने कहा था कि धर्म केवल कोई पंथ ,सम्प्रदाय या पूजा का स्वरूप नहीं है। धर्म का मूल यानी सत्य ,करुणा ,पवित्रता और तपस्या सामान रूप से महत्वपूर्ण है। अब हिंदुत्व की बात भी कर ली जाए। सनातन तो एक जीवन पद्धति है। संस्कार है और जीवन जीने का आसरा ,लेकिन हिंदुत्व क्या है ? हिंदुत्व को लेकर कई तरह की बाते की जाती है। दशक भर पहले इस शब्द का चलन न के बराबर था लेकिन यह भी सच है कि हिंदुत्व का प्रयोग संघ और बीजेपी के लोग करते रहे हैं। इस हिंदुत्व में पुरे भारत को समाहित करने की बात है। इसमें सारे धर्मो को हिंदुत्व में लाने की बात है और कुल मिलाकर संघ का हिंदुत्व देश को हिन्दू राष्ट्र की तरफ ले जाने का प्रयास भर है। ऐस भी नहीं है कि हिंदुत्व में अन्य धर्मो के प्रति कोई दुराग्रह है लेकिन सच यही है कि इस देश में जीतने धर्म फल फूल रहे हैं सब हिंदुत्व में जाकर एकाकार हो जाते है। संघ का यह हिंदुत्व भ्रामक भी हो सकता है और लुभाता भी नजर आ रहा है। ऐसे में संघ और बीजेपी की अगली राजनीति धरम ,जाति और हिंदुत्व के बैनर पर ही होती नजर आ सकती है। अंजाम क्या होगा इसे देखना होगा।

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