संदेश

नवंबर, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Varanasi: नेताजी की प्रपौत्री ने काशी से की मथुरा चलो की अपील, बोलीं- 6 दिसंबर को मनाएंगे सनातन समर्पण दिवस

चित्र
6 दिसम्बर को काशी से एक साथ हनुमान चालीसा का पाठ करने का आह्वान अखिल भारत हिन्दू महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष राजश्री चौधरीजी ने आगामी छह दिसम्बर को मथुरा चलो... का फूका बिगुल हिन्दुओं को एकजुट होकर मथुरा चलने की अपील अखिल भारतीय हिन्दू महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष राजश्री चौधरी ने काशी से मथुरा मुक्ति आंदोलन की घोषणा करते हुए आह्वान किया कि 6 दिसम्बर को इनसे जुड़कर मथुरा की ओर कुज करें जो जा नहीं सकते वो संकट मोचन मन्दिर में जाकर प्रार्थना करें।आपको बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर बनने के साथ अयोध्या भी झांकी है काशी मथुरा बाकी है का नारा गूंजने लगा था अब काशी से मथुरा की आवाज बुलंद करने के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रपौत्री काशी पहुंचकर आह्वान कर रही हैं। https://youtu.be/gwt_Wxhuuys

बिहार और यूपी में बीजेपी बना रही नया जातीय समीकरण

चित्र
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा का आगामी लोकसभा चुनाव में कितना असर पड़ेगा और बीजेपी के बढ़ते जनाधार को कांग्रेस कितना कुंद कर पाएगी इसके बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी ।लेकिन इतना तय है कि इस यात्रा ने कांग्रेस को संजीवनी दी है और पार्टी से जुड़े लोग और कांग्रेस वोटरों में एक तरह का उत्साह और कॉन्फिडेंस तो खड़ा कर ही दिया है । सच तो यह भी है कि कई राज्यों में अभी भी कांग्रेस मरणासन्न हालत में है और पार्टी गुटबाजी की शिकार है ।कांग्रेस की इस हालत से कांग्रेस कैसे निपटती है इसे भी देखने की जरूरत है ।खासकर हिंदी पट्टी में कांग्रेस का संगठन और कांग्रेस के लोग जागते है तो इसका लाभ पार्टी को मिलेगा ।लेकिन क्या यह इतना आसान है ? बता दें कि देश की हिंदी पट्टी में करीब 300 से ज्यादा लोकसभा सीट है और मौजूदा वक्त में इसमें बीजेपी करीब 200 सीटों पर दखल रख रही है । देश की यही हिंदी पट्टी बीजेपी को खाद पानी दे रही है ।इसी पट्टी में सबसे ज्यादा जातीय खेल है तो धार्मिक उन्माद भी । बीजेपी किसी भी सूरत में हिंद्दी पट्टी को खोना नही चाहती ।संभावित विपक्षी एकता और कांग्रेस के नए तेवर से घबराई बीजेप

Gujarat Election 2022 : दो पत्रकारों की चुनावी पैतरेबाजी पर टिकी है कांग्रेस और आप की राजनीति

चित्र
27 साल से गुजरात में चल रही बीजेपी की सरकार इस चुनाव में भी फिर से वापसी के लिए जोर लगाए हुए है । हिंदुत्व का प्रयोगशाला रहा गुजरात संघ और बीजेपी को खूब भाता रहा है । का सकते है कि बीजेपी की असली राजनीति यही से शुरू हुई ।एक समय था जब यही गुजरात छात्र आंदोलन का केंद्र बना था और जेपी की अगुवाई में देश खड़ा हुआ और इंदिरा गांधी की सरकार जमींदोज हो गई । तब भी गुजरात चर्चा में था ।लेकिन सन 2000 के बाद गुजरात बीजेपी के खेमे में खड़ा हुआ ।संघ की बड़े स्तर पर यहां शाखाएं खुली । बीजेपी की पैठ हुई और फिर नरेंद्र मोदी के हाथ गुजरात की सत्ता गई । करीब 13 साल तक मोदी इस राज्य के मुख्यमंत्री रहे । कहा जाता है कि गुजरात के लिए मोदी ने खूब काम किया । इसी बीच 2002 में वहां दंगे हुए और सरकार को खूब बदनामी हुई । मोदी जी को अमित शाह जैसे नेता का साथ मिला ।संघ की कृपा हुई और 2014 में मोदी जी देश के प्रधानमंत्री बने । गुजरात देश में गुजरात मॉडल के रूप में प्रचारित हुआ ।एक ऐसा राज्य जहां सबकुछ चकाचौंध से भरा था ।अधिकतर कॉरपोरेट घराने वजन गए ।अंबानी और अडानी जैसे उद्योगपति इसी गुजरात मॉडल के सहारे आगे बढ़ते ग

25 दिसम्बर 2022 को हरिद्वार का सर्वानंद घाट बनेगा एक इतिहास का साक्षी

चित्र
जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर व शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी महाराज ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके बताया कि वो मुस्लिम मौलानाओं के साथ सार्वजनिक शास्त्रार्थ के माध्यम से लव जिहाद,सर तन से जुदा,गौहत्या,मठ मन्दिर विध्वंस और ग़ज़वाए हिन्द की सच्चाई को समझने और सारे विश्व के सामने लाने का प्रयास करेंगे।यह कार्य पूरे कहीं गुप चुप कमरों में बैठकर नहीं बल्कि पूरी दुनिया के सामने होना चाहिये ताकि दुनिया की सच्चाई को समझ सके। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज के धर्मगुरुओं का पक्ष आज सारे विश्व के सामने आना ही चाहिये।आज पूरी दुनिया इस्लाम को घृणा की नजर से देख रही है क्योंकि मुसलमान पूरी दुनिया को अपनी शिकारगाह बनाये हुए हैं।जो भी मुसलमानों की दुर्गति पर तरस खा कर उन्हें शरण देता है या सहायता करता है,मुसलमान उसी की दुर्गति कर देते हैं।पूरा यूरोप इसका ज्वलन्त उदाहरण है।धर्म के आधार पर बटवारा होने के बाद भी भारतवर्ष के बंटवारे के समय हिन्दुओ ने मुसलमानों को अपना भाई समझ कर यहाँ रहने दिया।परन्तु आज मुसलमानों ने पूरे भारत को तरह तरह के जिहाद के नाम पर नरक बना कर रख दिया है।ऐसे

जी 20 के लोगों में कमल पर गरमाई राजनीति ,क्या वाकई में कमल राष्ट्रीय फूल है ?

चित्र
इंडोनेशिया के बाली में जी 20 की बैठक तीन दिनों तक चलेगी ।भारत के प्रधानमंत्री मोदी इसमें शिरकत करने इंडोनेशिया पहुंच गए हैं । भारत इस समिट में कई देशों के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेगा और फिर अगले साल 2023 के लिए इस बड़े संगठन की अध्यक्षता का भार भी ग्रहण करेगा । याद रहे जी 20 दुनिया के विकसित और विकासशील देशों का बड़ा समूह है ।भारत भी इसका सदस्य है । इसमें शामिल देशों को अल्फावेटिकल अध्यक्षता की जिम्मेदारी दी जाती है । अभी इंडोनेशिया इस समूह का अध्यक्ष है जबकि एक दिसंबर से अगले साल 2023 के नवंबर तक भारत इस समूह की अध्यक्षता करेगा ।भारत में इस बात को खूब प्रचारित किया जा रहा है कि मोदी को वैश्वविक छवि की वजह से इतने बड़े समूह की अध्यक्षता भारत को मिली है लेकिन सच्चाई ये है कि इस समूह की अध्यक्षता बारी बारी से अल्फावेटिकली हर देश को निभानी होती है ।इंडोनेशिया के बाद भारत और फिर इटली अगला अध्यक्ष होगा । लेकिन भारत की अध्यक्षता की बात तो ठीक है लेकिन जिस तरह से जी 20 के लोगों में कमल फूल को भारत सरकार ने दिखाया है इस पर विवाद खड़ा हो गया है । याद रहे नई अध्यक्षता ग्रहण करने वाले देश को लोगो

झारखंड के इस मंदिर में मां गंगा स्वयं करती है भगवान भोलेनाथ का जलभिषेक

चित्र
  ये झारखंड के रामगढ़ का एक मंदिर ऐसा है , जहां भगवान शंकर के शिवलिंग पर जलाभिषेक कोई और नहीं ,   स्वयं मां गंगा करती हैं. , मंदिर की खासियत यह है कि यहां जलाभिषेक साल के बारह महीने और चौबीस घंटे होता है.यह पूजा सदियों से चली आ रही है.माना जाता है कि इस जगह का उल्‍लेख पुराणों में भी मिलता है.भक्तों की आस्‍था है कि यहां पर मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है l चमत्कार झारखंड के रामगढ़ जिले में स्थित इस प्राचीन शिव मंदिर को लोग टूटी झरना के नाम से भी जानते है. इस शिव मंदिर का इतिहास 1925 से जुड़ा हुआ है. और माना जात है कि , तब अंग्रेज इस इलाके से रेलवे लाइन बिछाने का काम कर रहे थे. , पानी के लिए खुदाई के दौरान उन्हें जमीन के अन्दर कुछ , शिखरनुमा चीज दिखाई पड़ी. अंग्रेजों ने इस बात को जानने के लिए पूरी खुदाई करवाई और आखिर में ये मंदिर पूरी तरह से नजर आया.शिव भगवान की पूजा होती है मंदिर के अन्दर भगवान भोले का शिव लिंग मिला और उसके ठीक ऊपर मां गंगा की सफेद रंग की प्रतिमा मिली.प्रतिमा के नाभी से आपरूपी जल निकलता रहता है.जो उनके दोनों हाथों की हथेली से गुजरते हुए शिव लिंग पर गिरता है.मंदिर

यहां चिता की तपिश पर होती है साधना......

चित्र
  बिहार के दरभंगा   जिले में मौजूद मां काली का यह मंदिर अपने आप में एक भव्य मंदिर माना जाता है , इस मंदिर को यहां भक्त श्यामा माई के नाम से पुकारते हैं. इस मंदिर के निर्माण की कहानी ऐसी है जिसे सुनकर सब हैरान हो जाते हैं , मां काली का यह मंदिर   दरभंगा राज परिवार के महान साधक महाराज रामेश्वर सिंह   की चिता पर बना है...इस मंदिर के अंदर दक्षिण दिशा की ओर एक खास स्थान पर आज भी लोग साधक महाराज रामेश्वर सिंह की चिता की तपिश महसूस करते हैं ,   फिरचाहे कड़ाके की ठंड हो या भरपूर गर्मी. यहां लोगों का मानना है कि पूरे भारत में काली की इतनी बड़ी मूर्ति कहीं नहीं है.मूर्ति का विग्रह अलौकिक और अविस्मरणीय है. भक्तों को मां श्यामा के दर्शन से ही अदभुत सुख की प्राप्ति होती है.ऐसा माना जाता है. इस मंदिर में नम आखों से कुछ.मांगते हैं तो , उनकी इच्छा अवश्य पूरी होती है ,  इस विशालकाय मंदिर की स्थापना   1933   में.दरभंगा महाराजा कामेश्वर सिंह ने की थी , जिसमें मां श्यामा की विशाल मूर्ति भगवन शिव.की जांघ एवं वक्षस्थल पर अवस्थित है. मां काली की दाहिनी तरफ महाकाल और बायीं ओर.भगवान गणेश और बटुक की प्रतिमाएं

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) में भगवा ध्वज और प्रार्थना कैसे जुड़े

चित्र
 मोहिते संघ स्थान पर शाखा के कार्यक्रम शुरू होने के बाद अपना ध्वज कौनसा रहे और कार्यक्रम के अंत में प्रार्थना कौनसी रहे, इस विषय में भी अनौपचारिक बातचीत शुरू हुई। इस सम्बन्ध में हर एक स्वयंसेवक से कहा गया कि वे खुले मन से अपने विचार व्यक्त करें। पहले ध्वज के सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त किये जांये ऐसा परम पूज्य डॉक्टरजी ने सूचित किया। एक स्वयंसेवक ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि हमारे देश के राष्ट्रीय जीवन में हिंदुधर्म व हिन्दु संस्कृति का आधार ही केन्द्र बिन्दु के रूप में प्रमुख विषय है। मठ-मंदिरों के कारण ही, भारत पर आज तक हुए अनेक विदेशी आक्रमणों - आघातों से हम सुरक्षित रह सके हैं। उनमें समय समय पर किये जानेवाले उद्बोधनों के कारण ही हिन्दू समाज की अस्मिता कायम रह सकी है। इसलिये मठ-मंदिरों पर फडकने वाला लाल रंग का त्रिकोणी ध्वज हमारे लिये ठीक रहेगा । दूसरे स्वयंसेवक ने कहा - धर्म और संस्कृति के प्रति अभिमान के साथ ही हमने भारत को विश्व में अजेय बनने योग्य, बलशाली बनाने का भी बीडा उठाया है- इस कार्य में हम विजयी होंगे, ऐसी हमारी आकांक्षा भी है । विजय और यशस्विता का रंग धवल (श

सिर ढकने की मनाही वनाम तन ढकने की मनाही का क्रूर खेल

चित्र
  कैसे एक धर्म और उसकी भाषा संस्कृति को दूसरे धर्म और उसकी भाषा संस्कृति से बेहतर माना  जा सकता है। कैसे हिन्दू -मुसलमान ,सिख और ईसाई धर्म के लोग एक हो सकते हैं और कैसे इन धर्मो की जीवन शैली ,रहन ,सहन ,खान ,पान और पहनावे एक जैसे हो सकते हैं ? फिर कैसे इनकी मान्यताएं एक जैसी हो सकती है ? इन सभी धर्मो में सिर्फ एक ही समानता हो सकती है कि वे जिस देश में रहते हैं उस देश के प्रति वफादार हों ,देशभक्त  हों और अपनी मातृभूमि के प्रति समर्पित हों। और भारत जब अनेकता में एकता वाला देश है तो फिर पहनावे पर विवाद क्यों ? और फिर किसका धर्म बड़ा है और किसका छोटा इसका निर्णय भला कौन करे ! पिछले कुछ महीने से देश के भीतर हिजाब को लेकर जो खेल चल रहा है उसके पीछे का सच क्या है ? अगर देश के भीतर एक धर्म की महिलाये ,लडकियां अपना सिर ढकने के लिए हिजाब का सहारा लेती है तो इस पर बवाल क्यों ? क्या अपने शरीर को ढकना कोई अपराध है या फिर कोई आतंकी गतिविधियां है ? इस्लाम में महिलाओं को शरीर ढकने की प्रथा है तो इस पर ऐतराज क्यों ? इसी देश में अगर संस्कृत विद्यालय चलते हैं और उर्दू विद्यालय भी  चलते हैं।  दक्षिण भारत मे