संदेश

मई, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बिहार में बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बिहार के राजनेताओं में मचा दी खलबली,पागल का मतलब भी समझाया

चित्र
एक पच्चीस वर्ष का युवा कथावाचक बिहार जैसे राज्य में आता है और दूसरे ही दिन आठ से दस लाख की भीड़ उमड़ पड़ती है, तो यह सिद्ध होता कि अब भी इस देश की सबसे बड़ी शक्ति उसका धर्म है। मैं यह इसलिए भी कह रहा हूँ कि इसी बिहारभूमि पर किसी बड़े राजनेता की रैली में 50 हजार की भीड़ जुटाने के लिए द्वार द्वार पर गाड़ी भेजते और पैसे बांटते हम सब ने देखा है। वैसे समय में कहीं दूर से आये किसी युवक को देखने के लिए पूरा राज्य दौड़ पड़े, तो आश्चर्य होता है। मेरे लिए यही धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Pandit Dhirendra Krishna Shastri) का सबसे बड़ा चमत्कार है।वह दस लाख की भीड़ किसी एक जाति की भीड़ नहीं है, उसमें सभी हैं। बाभन-भुइंहार हैं, तो कोइरी कुर्मी भी.राजपूत हैं तो बनिया भी, यादव भी, हरिजन भी... यह वही बिहार है जहां हर वस्तु को जाति के चश्मे से देखने की ही परम्परा सी बन गयी है। उस टूटे हुए बिहार को एक युवक पहली बार में इतना बांध देता है, तो यह विश्वास दृढ़ होता है कि हमें बांधना असम्भव नहीं। राजनीति हमें कितना भी तोड़े, धर्म हमें जोड़ ही लेगा.आयातित तर्कों के दम पर कितना भी बवंडर बतिया लें, पर यह सत्य है कि इस देश को केवल

आखिर बागेश्वर बाबा पर क्यों भड़क उठे नीतीश कुमार ?

चित्र
संत - महात्मा की भूमिका भारत जैसे देश में सनातनी काल से ही है। हर समय में और हर युग में संतों ने समाज निर्माण ,समाज सुधार और मानवता के कल्याण के लिए काम करते रहे हैं। लेकिन किसी भी संत ने मानवता से परे हिन्दू राष्ट्र का अलाप किया हो। मौजूदा समय में जिस तरह से बीजेपी और संघ के लोग हिन्दू राष्ट्र की बात करते रहे हैं अगर उसी को आगे बढ़ाने में कोई संत लगा हो तो उसे संत कहा जाये य फिर राजनीतिक आदमी। सबको पता है कि भारत एक सेक्युलर देश है। इस देश का एक संविधान है जिसमे सबको एक साथ मिलकर रहने की आजादी है। सभी को अपने धर्म मानने की आजादी है। ऐसे में संविधान से परे कोई हिन्दू राष्ट्र की बात करे तो उसे आप क्या कहेंगे ? क्या जो सेक्युलर समाज की परिकल्पना करते हुए इस देश में रह रहा है और सनातनी परंपरा को भी मानता है ,अपने आराध्य को भी पूजता है और सबको सामान नजरिये से देखता है क्या वे हिन्दू नहीं है ? किसी के पास इसका जवाब है ? जो लोग बीजेपी को वोट देता है उसकी आबादी करीब 35 फीसदी ही और बाकी आबादी जो बीजेपी वोट नहीं करती क्या वे हिन्दू नहीं हैं ? ऐसे बहुत से सवाल है। बिहार के नोबतपुर के तरेत पाल

गाज़ियाबाद में आयोजित होने वाला ‘संत-संवाद’ कवि सम्मेलन ।। यति नरसिंहानंद गिरी

चित्र

सनातनी बाबा Dhirendra Shastri पर बिहार में सियासत क्यों ?

चित्र
बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) वाले बाबा धीरेन्द्र शास्त्री (Dhirendra Shastri) का बिहार में इंतजार है। बिहार की जनता भी उनके स्वागत को तैयार ही। खासकर बीजेपी के समर्थक और संघ से लेकर हिंदूवादी संगठनों से जुड़े लोग उनके दर्शन को लालायित हैं। लोग कह रहे हैं कि बाबा आएंगे तो बिहार की धरती पवित्र हो जाएगी। सनातन धर्म गौरवान्वित होगा और लोगों की अभिलाषा उनके दर्शन मात्र से पूरी हो जाएगी। और भी बहुत बातें की जा रही है। बाबा भी फुले नहीं समा रहे। उनकी भी इच्छा ही कि बिहार की जनता का भी कल्याण हो ,बिहार भी सनातन को आगे बढाए और बिहार को भी प्रभु राम भक्त हनुमान का आशीर्वाद मिले।बिहार के भक्तो से बबा की बात हुई और फिर आगमन की तैयारी हो गई। पहले पटना के गाँधी मैदान में कर्यक्रम करने की बात हुई लेकिन सरकर ने इसकी इजाजत नहीं दी। फिर बहुत कुछ बदला। बाबा अब 13 को पटना पहुँच रहे हैं और पटना के ही नौबतपुर में उनका कार्यक्रम 17 मई को होना है। वे प्रवचन देंगे। बबा के लोग बिहार के गांव -गव घूम रहे हैं और बाबा का सन्देश बिहार के लोगों को दे रहे हैं। कथा प्रवचन ने आने का निमंत्रण भी देते फिर रहे हैं। सनातनी

Bajrang Dal Row: आखिर क्या है बजरंग दल ,बजरंगबली और हिंदुत्व की राजनीति का झंझट ?

चित्र
History Of Bajrang Dal : कर्नाटक से उठे बजरंग दल की राजनीति आगे क्या गुल खिला सकती है इसकी सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है। आज भले ही कर्नाटक के चुनाव में बजरंग दल पर कथित लगाने की कहानी का असर भले ही न दिखे लेकिन उत्तर भारत और खास कर हिंदी पट्टी में बजरंग दल की जो हैसियत है वह चुनाव को प्रभावित करने वाली है और करती भी रही है। विश्व हिन्दू परिषद् का यह संगठन हिन्दू युवाओं का ऐसा दल है जिसकी पहुँच उत्तर से लेकर दक्षिण तक है। हालांकि यूपी,मध्यप्रदेश और राजस्थान को छोड़ दें तो देश के अन्य भागों में इसके नर्तन भले ही कमजोर दीखते हों लेकिन बीजेपी की राजनीति को आगे बढ़ाने में इसकी भूमिका अहम् रही है। जहाँ -जहाँ संघ और विश्व हिन्दू परिषद् की पहुँच है वहाँ बजरंग दल मजबूत है और चुनाव खेल को साधने में भी महत्वपूर्ण है। बजरंग दल की स्थापना 8 अक्टूबर 1984 में अयोध्या में की गई थी। इसकी स्थापना की भी अपनी कहानी है। उस समय अयोध्या से रथ यात्रा निकाली जा रही थी लेकिन राज्य प्रशासन ने उस समय सुरक्षा देने से मना कर दिया था। फिर संतों के आह्वान पर वीएचपी ने वहां के युवाओं को रथ यात्रा की सुरक्षा देने क